235 ऋषि प्रसादः जुलाई 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वर्षा ऋतु विशेष


(वर्षा ऋतुः 20 जून से 21 अगस्त) ग्रीष्म ऋतु में दुर्बल हुआ शरीर वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त करने लगता है। आर्द्र वातावरण जठराग्नि को मंद करता है। वर्षा ऋतु में वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है, अतः सुपाच्य, जठराग्नि प्रदीप्त करने वाला वात-पित्तनाशक आहार लेना चाहिए। हितकर आहारः इस ऋतु में …

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ʹसर्वभाषाविद्ʹ हैं भगवान


(पूज्य बापू जी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) बोलते हैं- ʹभगवान सर्वभाषाविद् हैं। भगवान सारी भाषाएँ जानते हैं।ʹ भाषाएँ तो मनुष्य-समाज ने बनायीं, तो क्या भगवान उनसे सीखने को आये ? नहीं। तो भगवान सर्वभाषाविद कैसे हुए ? सारी भाषाएँ बोलने के लिए जहाँ से भाव उठते हैं, उसकी गहराई में भगवान हैं। उन सारे भावों को …

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संकल्पशक्ति के सदुपयोग का पर्वः रक्षाबन्धन


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) हमारी भारतीय संस्कृति त्याग और सेवा की नींव पर खड़ी होकर पर्वरूपी पुष्पों की माला से सुसज्ज है। इस माला का एक पुष्प रक्षाबन्धन का पर्व भी है जो गुरूपूनम के बाद आता है। यूँ तो रक्षाबन्धन भाई-बहन का त्योहार है। भाई बहन के बीच प्रेमतंतु को निभाने का …

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