240 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वाह यार ! तेरी लीला…. – पूज्य बापू जी


मैं 17 दिसम्बर (2012) की रात्रि को हरिद्वार आश्रम में जल्दी सो गया था तो दो बजे आँख खुली। जोरों की बरसात हो गयी थी। मैं कुटिया के चारों तरफ घूमने निकला। एक मकड़ी ने ऐसा जाला बुना था कि मैंने कहाः ʹदेख लो, कैसा कलाकार बैठा है ! कैसा कौशल भरा हुआ है !ʹ …

Read More ..

तीन दिव्य गुण, तीन महा अवगुण – पूज्य बापू जी


भगवान, आत्मदेव में तीन बातें ऐसी हैं कि और कहीं नहीं मिलेंगी। एक तो वह मरेगा नहीं। ब्रह्मलोक का नाश हो जायेगा, ब्रह्मा जी मर जायेंगे, इन्द्र मर जायेंगे परंतु भगवान मरेंगे नहीं। दूसरी बात क्या है, बिछुड़ेगा नहीं। हमारे से अलग होकर बिछुड़ के दिखावे ! हम नहीं जान रहे हैं तभी भी बिछुड़ा …

Read More ..

शीतऋतु में स्वास्थ्य-संवर्धन


शीतकाल में तक्रपान-अमृत समान शीतकालेઽग्निमान्द्ये च कफवातामयेषु च। अरुचौ स्रोतसां रोधे तक्रं स्यादमृतोपमम्।। ʹशीतकाल में और अग्निमांद्य, कफ-वातजन्य रोग, अरुचि व नाड़ियों के अवरोध में तक्र (छाछ) का सेवन अमृत की तरह गुणकारी है।ʹ गाय के तक्र में विद्यमान आठ गुण क्षुधावर्धक, नेत्ररोगनाशक, बलकारक, रक्त-मांसवर्धक, कफ-वातशामक, आम (कच्चा आहार रस) नाशक। तक्र निर्माणः गाय के …

Read More ..