247 ऋषि प्रसादः जुलाई 2013

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

पुण्यों का संचयकालः चतुर्मास


(19 जुलाई से 14 नवम्बर) (ʹपद्म पुराणʹ व ʹस्कन्द पुराणʹ पर आधारित) आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु योगनिद्रा द्वारा विश्रांतियोग का आश्रय लेते हुए आत्मा में समाधिस्थ रहते हैं। इस काल को चतुर्मास कहते हैं। इस काल में किया हुआ व्रत-नियम, साधन-भजन आदि अक्षय फल प्रदान करता …

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पंचम पिता निजस्वरूप में जगाते – पूज्य बापू जी


  आज तक तो सुना होगा कि एक पिता, एक माता लेकिन ʹएकनाथी भागवतʹ ने तो बड़ा सूक्ष्म रहस्य खोलकर रख दिया। पाँच पिता होते हैं। एक तो माता माँ के गर्भ में गर्भाधान किया, वह जन्मदाता पिता होता है। दूसरा पिता वह होता है जिसने जन्म के बाद उपनयन संस्कार किया, मानवता की विधि …

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दुर्भाव हटाये सदभाव जगायेः नागपंचमी


(नागपंचमीः 11 अगस्त) श्रावण शुक्ल पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह नागों की पूजा का पर्व है। मनुष्यों और नागों का संबंध पौराणिक कथाओं से झलकता रहा है। शेषनाग के सहस्र फनों पर पृथ्वी टिकी है, भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषशैय्या पर सोते हैं, शिवजी के गले में सर्पों के हार हैं, …

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