247 ऋषि प्रसादः जुलाई 2013

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संत की करें जो निंदा, उन्हें होना पड़े शर्मिन्दा


(संत तुलसीदास जी जयंतीः 13 अगस्त) संत तुलसीदास जी काशी में प्रवचन करते थे। दूर-दूर तक उनकी ख्याती फैल चुकी थी। कहते हैं जहाँ गुलाब वहाँ काँटे, जहाँ चन्दन वहाँ विषैले सर्प, ऐसे ही जहाँ सर्वसुहृद लोकसंत वहाँ निंदक-कुप्रचारकों का होना स्वाभाविक है। उसमें भी विधर्मियों की साजिश के तहत हमारे ही संतों के खिलाफ, …

Read More ..

शिष्य को जोड़े सदगुरु सेः संप्रेषण शक्ति


पूज्य बापू जी शरीर का श्रृंगार तो रात को बिखर जाता है लेकिन अपने ʹमैंʹ का श्रृंगार तो मौत के बाद भी सुवास देता है। जैसे शबरी का शरीर तो मर गया लेकिन उसके श्रृंगार की सुवास अभी भी है। की बार शिष्यों को सपने में गुरु प्रेरणा देते हैं। कई बार ध्यान में प्रेरणा …

Read More ..

शरीर शुद्धिकर फलः नींबू


नींबू अनुष्ण अर्थात् न अति उष्ण है, न अति शीत। यह उत्तम जठराग्निवर्धक, पित्त व वातशामक, रक्त, हृदय व यकृत की शुद्धि करने वाला, कृमिनाशक तथा पेट के लिए हितकारी है। हृदयरोगों को ठीक करने के लिए यह अंगूर से भी अधिक गुणकारी सिद्ध हुआ है। इसमें प्रचुर मात्रा में उपलब्ध विटामिन ʹसीʹ शरीर की …

Read More ..