248 ऋषि प्रसादः अगस्त 2013

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

प्रेम में माँग नहीं होती – पूज्य बापू जी


नृसिंह भगवान ने जब हिरण्यकशिपु को मारा तब वे बड़े कोप में थे। लक्ष्मी जी भी उन्हें शांत न कर सकीं, ऐसा उग्र रूप था। ब्रह्माजी ने प्रह्लाद से कहाः “बेटा ! अब तुम्हीं भगवान के पास जाकर उन्हें शांत करो।” प्रह्लाद ने पास में जाकर भगवान की स्तुति की। प्रह्लाद को देखते ही भगवान …

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परिप्रश्नेन


प्रश्नः हमें बार-बार भगवान की महिमा सुनने को मिलती है, बार-बार सत्संग सुनते हैं फिर भी ईश्वरप्राप्ति का लक्ष्य अभी निर्धारित नहीं हो पाया, निश्चय नहीं कर पाया, इसका क्या कारण है ? पूज्य बापू जीः ʹईश्वर के सिवाय कहीं भी मन लगाया तो अंत में रोना ही पड़ेगा।ʹ – मन को समझाया करो। ʹईश्वर …

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मेरा उद्देश्य भी वही है – पूज्य बापू जी


जन्माष्टमी श्रीकृष्ण का यश बढ़ाने वाली है, ऐसा मैं नहीं मानता हूँ। यह तो श्रीकृष्ण के अनुभव से मानवता का मंगल करने वाली है, ऐसा मेरा अपना मंतव्य है। दुनिया के हर मजहब, पंथ सम्प्रदाय का पुजारी इस अटपटे और अनोखे, रसमय अवतार के अनुभव से बहुत कुछ समझ सकता है। श्रीकृष्ण ऐसे समर्थ हैं …

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