259 ऋषि प्रसादः जुलाई 2014

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

साकार और निराकार की बात – पूज्य बापू जी


संत लाल जी महाराज के प्रेम, भक्ति का भी कुछ प्रसाद लोगों को मिले इस हेतु मैंने एक बार नारेश्वर के अपने शिविर का उदघाटन उनके हाथों करवाया। इस प्रसंग पर उन्होंने कहाः “लोग निराकार की बातें करते हैं, ब्रह्मज्ञान की बातें करते हैं, ‘मैं ब्रह्म हूँ, तुम ब्रह्म हो’ – ऐसा ब्रह्मज्ञान का उपदेश …

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सदगुरु पकड़ाते ज्ञान की डोरी, करते भव से पार – स्वामी शिवानंद जी सरस्वती


साधकों के पथ-प्रदर्शन हेतु सदगुरु के रूप में भगवान स्वयं पधारते हैं। ईश्वरकृपा ही गुरु के रूप में प्रकट होती है। यही कारण है कि सदगुरु-दर्शन को भगवददर्शन की संज्ञा दी जाती है। गुरु भगवत्स्वरूप होते हैं, उनकी उपस्थिति सबको पवित्र करती है। ब्रह्मस्वरूप सदगुरु ही मानव के सच्चे सहायक मानव को मानव द्वारा ही …

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पक्के हित व प्रेम का बंधनः रक्षाबन्धन – पूज्य बापू जी


(रक्षाबन्धनः 10 अगस्त 2014) रक्षा सूत्र का मनोवैज्ञानिक लाभ हिन्दू संस्कृति ने कितनी सूक्ष्म खोज की ! रक्षा बन्धन पर बहन भाई को रक्षासूत्र (मौली) बाँधती है। आप कोई शुभ कर्म करते हैं तो ब्राह्मण रक्षासूत्र आपके दायें हाथ में बाँधता है, जिससे आप कोई शुभ काम करने जा रहे हैं तो कहीं अवसाद में …

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