260 ऋषि प्रसादः अगस्त 2014

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

योगःकर्मसु कौशलम्


एक सम्पन्न घराने के इकलौते बालक को पढ़ने का शौक तो था ही, साथ ही लालटेन की रोशनी में चलने का भी बड़ा शौक था। पढ़ने के लिए वह दूसरे गाँव में जाता था। छुट्टी होने के बाद जानबूझकर खेल-कूद में समय बिताता। जब अँधेरा हो जाता तो लालटेन जलाकर घर वापस लौटता था। एक …

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यदि बचाओगे दूसरे के अधिकार तो सब करेंगे आपको प्यार


विजयनगर के प्रजावत्सल सम्राट थे कृष्णदेव राय। वे अपनी प्रजा के सुख-दुःख देखने के लिए अक्सर राज्य में भ्रमण करने के लिए जाते थे। एक बार इसी हेतु से वे अपने बुद्धिमान मंत्री तेनालीराम तथा कुछ सिपाहियों के साथ निकले। एक-एक गाँव देखते-देखते दूर निकल गये। शाम हो गयी। सभी थक गये। नदी किनारे उचित …

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वर्तमान युग में शिक्षा-प्रणाली और शिक्षकों की भूमिका


(शिक्षक दिवसः 5 सितम्बर 2014) शिक्षक साधारण नहीं होता है, सृजन और प्रलय उसकी गोद में खेलता है। आचार्य चाणक्य ने एक नन्हें से बच्चे को ऐसी शिक्षा, ऐसे संस्कार दिये कि आगे चलकर वह चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य बना और उसने अखंड भारत के निर्माण का कार्य किया। ऐसे असंख्य उदाहरण हैं इतिहास में। …

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