289 जनवरी 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आदर्श गृहस्थ जीवन के सोपान


सद्गृहस्थ, आदर्श गृहस्थ बनकर जीवन में सद्गति चाहते हो तो घर को, परिवार को अपना मानकर लोभी, मोही, अभिमानी न बनो। घर, परिवार, धन को अपने लिए समझो परंतु अपना न समझो क्योंकि ये सब संसार की वस्तुएँ हैं, तुम्हारी नहीं हैं। जो कुछ तुम्हारे साथ है वह तुम्हें भाग्य के अनुसार मिला है किंतु …

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संत करें आप समान…..


पूज्य बापू जी आत्मकल्याण की चाहना से एक व्यक्ति ने जाकर किन्हीं संत से प्रार्थना कीः “मुझ पर अपनी कृपादृष्टि कीजिये नाथ !” उसकी श्रद्धा देखकर गुरु ने उसे मंत्र दे दिया और कहाः “बेटा ! एक वर्ष तक भलीभाँति इस मंत्र का जप करना। बाद में स्नान करके पवित्र होकर मेरे पास आना।” एक …

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आशा का त्याग ही सर्वोपरि


आशा नाम नदी मनोरथजला तृष्णातरङ्गाकुला। रागग्राहवती वितर्कविहगा धैर्यद्रुमध्वंसिनी। मोहावर्तसुदुस्तराऽतिगहना प्रोत्तुङ्गचिन्तातटी तस्याः पारगता विशुद्धमनसो नन्दति योगीश्वराः।। (वैराग्य शतकः10) ‘अच्छा खान-पान, विहार आदि मानसिक इच्छारूप जलवाली, अप्राप्य वस्तु की प्राप्ति की इच्छारूप तृष्णा की तरंगों से पूर्ण, अभीष्ट पदार्थ का प्रेमरूप राग व द्वेष आदि घड़ियाल वाली, ‘अमुक वस्तु कब, कैसे मिलेगी ?’ इत्यादि विचाररूप जलपक्षियों से …

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