290 फरवरी 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अनुशासन व प्रेम के समन्वय से जीवन होता समुन्नत


पूज्य बापू जी विज्ञानियों ने सुन रखा था कि भँवरी कीड़े को उठाकर ले आती हैं और अपने बनाये मिट्टी के घरौंदे में रखती हैं तथा कीड़ा भँवरी का चिंतन करता है और भँवरी हो जाता है। मैं गुफा में तपस्या कर रहा था तो मेरी गुफा में भी भँवरी ने मिट्टी का घर बनाया …

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ज्ञानी का व्यवहार और जिज्ञासु का निश्चय


साँईं श्री लीलाशाह जी की अमृतवाणी ज्ञानी जो भी बाह्य व्यवहार करते हैं वह सब आभासमात्र, आभासरूप समझ के करते हैं परंतु उन्हें अंदर में परमात्मशांति है। बाहर से यद्यपि कुछ विक्षेप आदि देखने में आता है परंतु वे परमात्मशांति में ही स्थित होते हैं। हर हाल और हर काल में एकरस रहते हैं। जिज्ञासु …

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वस्त्रालंकारों से नहीं, चरित्र से पड़ता प्रभाव


स्वामी रामतीर्थ जी का विवाह बचपन में ही हो गया था। यद्यपि वे गृहस्थ जीवन के प्रति उदासीन थे फिर भी उन्हें कुछ समय के लिए गृहस्थ जीवन बिताना पड़ा था। उन दिनों में एक बार उनके परिवार में कहीं शादी थी। उसमें स्वामी जी की पत्नी का जाना जरूरी था। यद्यपि स्वामी जी को …

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