294 ऋषि प्रसादः जून 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गुरु-तत्त्व की व्यापकता व समर्थता


योगिराज श्यामाचरण लाहिड़ी जी के शिष्य अविनाश बाबू रेलवे विभाग में नौकरी करते थे। अपने गुरुदेव के दर्शन, सत्संग-सान्निध्य हेतु उन्होंने एक सप्ताह की छुट्टी के लिए अपने उच्च अधिकारी भगवती चरण घोष को आवेदन पत्र दिया। उन्होंने अविनाश बाबू से कहाः “धर्म के नाम पर ऐसे पागलपन से नौकरी में उन्नति नहीं की जा …

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गुरुआज्ञा, गुरुशक्ति और गुरुकृपा का प्रभाव – श्री आनंदमयी माँ


गुरुकृपा पाने के लिए शिष्य का परम धर्म तुम्हारे में जितनी शक्ति है उसको गुरु महाराज के आदेश-पालन में लगा दो, बाकी जो होने वाला होगा वह अपने-आप उनकी कृपा से  होगा। अपनी सारी शक्ति को लगा के गुरु-आदेश पालन की कोशिश करनी चाहिए। अपने गुरु ही जगदगुरु हैं। एक बात खासकर सबको अवश्य याद …

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अष्टावक्र गीता


श्री अष्टावक्र गीता पर पूज्य श्री के अमृतवचन राजदरबार में एक सम्राट बैठा था सिंहासन पर। पास में एक दीया जल रहा था। नर्तकी आयी, खूब नाची। सम्राट कहने लगाः “वाह-वाह !…. क्या मजा है !” सभासदों ने तालियाँ बजायीं। नर्तकी को इनाम मिला। इतने में तबलची साज बजाने में गड़बड़ी करते हैं और नर्तकी …

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