सच्चिदानंद परब्रह्म-परमात्मा की अवस्थाएँ-पूज्य बापू जी
एक होता है निर्विशेष शाश्वत ज्ञान और दूसरा होता है सापेक्ष, सविशेष ज्ञान। सापेक्ष, सविशेष ज्ञान में तो अदल-बदल होती रहती है लेकिन निरपेक्ष ज्ञान, शाश्वत ज्ञान ज्यों का त्यों है। उस ज्ञान की मृत्यु नहीं होती, जन्म नहीं होता। वही ज्ञान ब्रह्म है। वही ज्ञान परमात्मा का परमात्मा है, ईश्वरों का ईश्वर है। उसी …