311 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

महापुरुषों की लोक-मंगलकारी भावनाएँ


लोभी धन का चिंतन करता है, मोह परिवार का, कामी कामिनी का, भक्त भगवान का का चिंतन करता है लेकिन ज्ञानवान महापुरुष ऐसे परम पद को पाये हुए होते हैं क वे परमात्मा का भी चिंतन नहीं करते क्योंकि परमात्मस्वरूप के ज्ञान से वे परमात्मामय हो जाते हैं। उनके लिए परमात्मा निज्स्वरूप से भिन्न नहीं …

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विश्वात्मा के साथ एकत्व कराने वाला अत्यंत उपयोगी साधन – पूज्य बापू जी


सृष्टि की उत्पत्ति के विषय में हमारे शास्त्र कहते हैं कि जब भगवान नारायण के नाभिकमल से ब्रह्माजी का प्राकट्य हुआ तब ब्रह्मा जी दिङ्मूढ़ (कर्तव्य का निर्णय करने में असमर्थ, जब कोई मार्ग नहीं दिखाई दे) की स्थिति में पड़ गये। वे समझ नहीं पा रहे थे कि ‘मेरा प्रादुर्भाव (प्राकट्य) क्यों हुआ ? …

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शाकों में श्रेष्ठ बथुआ


शाकों में बथुआ श्रेष्ठ है। इसमें पौष्टिक तत्त्वों के साथ विविध औषधिय गुणधर्म भी पाये जाते हैं। यह उत्तम पथ्यकर है। आयुर्वेद के अनुसार बथुआ त्रिदोषशामक, रूचिकारक, स्वादिष्ट एवं भूखवर्धक तथा पचने पचाने में सहायक, बल वीर्य वर्धक, पेट साफ लाने वाला एवं पित्तजन्य विकारों को नष्ट करने वाला है। आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार बथुए …

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