313 ऋषि प्रसाद – जनवरी 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ईश्वरप्राप्ति के अनुभव का सबसे सुलभ साधन-पूज्य बापू जी


प्रेमास्पद के प्रति प्रेम का आरम्भ है – निष्काम सेवा, सत्कर्म । सेवा प्रेम का आरम्भ है  और प्रेम सेवा का फल है । फिर सेव्य और सेवक दो दिखते हैं लेकिन उनकी प्रीति एकाकारता को प्राप्त हो जाती है । जैसे, एक ही कमरे में दो दीये दिखते हैं लेकिन प्रकाश दोनों का एक …

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सब कुछ दिया, वह न दिया तो क्या दिया ?


रतनचंद नाम के एक सेठ महात्मा बुद्ध के पास दर्शन करने आये । वे साथ में बहुत सारी सामग्री उपहारस्वरूप लाये । वहाँ उपस्थित जनसमूह एक बार तो ‘वाह-वाह !’ कर उठा । सेठ का सीना तो गर्व से तना जा रहा था । बुद्ध के साथ वार्तालाप प्रारम्भ हुआ तो सेठ जी ने बतायाः …

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अस्थिर व नाशवान के झोंकों में कर सकते हो सहज योग


वैराग्य शतक के 37वें श्लोक का अर्थ हैः ‘हे बुद्धिमानो ! शरीरधारी प्राणियों के सुखभोग मेघों के विस्तार के बीच चमकने वाली बिजली के समान अस्थिर हैं । जीवन हवा के झोंकों से कम्पित कमल के पत्ते पर पड़े हुए जलबिंदु के समान नाशवान हैं। जवानी की उमंगे और वासनाएँ भी अत्यंत अस्थिर हैं । …

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