320 ऋषि प्रसादः अगस्त 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भक्त प्रह्लाद ने भगवान को कैसे जीता ?


वामनपुराण में एक रहस्यमय एवं ज्ञानवर्धक कथा आती हैः एक बार प्रह्लाद नैमिषारण्य में गये ।  वहाँ उन्होंने सरस्वती नदी के पास धनुष बाण लिये तपस्यारत दो मुनियों – नर व नारायण को देखा और दम्भयुक्त समझकर कहाः “आप दोनों यह धर्मविनाशक दम्भपूर्ण कार्य क्यों कर रहे हैं ? कहाँ तो आपकी यह तपस्या और …

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बात अच्छी न भी लगे लेकिन है 100 % सत्य


जन्म का फल यह है कि परमात्मा का ज्ञान पायें । ‘नौकरी मिल गयी, प्रमोशन हो गया….’ यह सब तुम्हें ठगने का व्यवहार है । परमात्मा के सिवाय किसी भी वस्तु, व्यक्ति में कहीं भी प्रीति की तो अंत में पश्चात्ताप के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगेगा । सब धोखा देंगे, देखना । हमारी बात …

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सेवा में दृष्टिकोण कैसा हो ?


गीता (17.27) में आता हैः कर्म चैव तदर्थीयं सदित्येवाभिधीयते ।। उस परमात्मा के लिए किया हुआ कर्म ‘सत्’ कहलाता है क्योंकि वह मोक्ष का साधन है । सद्भाव से सत्सेवा होती है, दृष्टिकोण में व्यापकता रहती है । आत्मवतु सर्वभूतेषु…. सब प्राणियों के प्रति अपने जैसा बर्ताव करना, यह है व्यापक दृष्टिकोण । दृष्टिकोण यदि …

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