321 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

निरावरण तत्त्व की महिमा – पूज्य बापू जी


तत्त्वदृष्टि से जीव और ईश्वर एक ही हैं, फिर भी भिन्नता दिखती है । क्यों ? क्योंकि जब शुद्ध चैतन्य में स्फुरण हुआ तब अपने स्वरूप को भूलकर जो स्फुरण के साथ एक हो गया, वह जीव हो गया परंतु स्फुरण होते हुए भी जो अपने स्वरूप को नहीं भूले, अपने को स्फुरण से अलग …

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पैरों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए


क्या करें क्या न करें 1. पैरों व मलमार्गों की यथा-अवसर शुद्धि करते रहने से पवित्रता, धारणाशक्ति व आयु बढ़ती है और कुरूपता तथा रोगों का नाश होता है । 2. पैरों की विशेषतः तलवों की तेल-मालिश करते रहने से उनका खुरदरापन, जकड़ाहट, रुक्षता, सुन्नता व थकावट दूर होते हैं तथा पैर श्रम से अकड़ते …

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हितभरी बातों को ठुकराया तो विजय के बदले मौत को पाया


महाभारत के अंतर्गत हरिवंश पुराण में महर्षि वैशम्पायनजी जनमेजय को एक कथा सुनाते हैं- वज्रनाभ नामक असुर ने तपस्या से ब्रह्माजी को प्रसन्न किया और देवताओं से अवध्य होने का वर माँगकर वज्रपुर में रहने लगा । एक बार वह देवलोक में जाकर इन्द्र से बोलाः “मैं तीनों लोकों पर शासन करना चाहता हूँ । …

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