ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आत्मा में शांत होने का मजा – पूज्य बापू जी


श्रमरहित जीवन, पराश्रयरहित जीवन जीवनदाता से मिलने में सफल हो जाता है । भोग में श्रम है, संसार के सुखों में श्रम है, पराधीनता है किंतु परमात्मसुख में श्रम नहीं है, पराधीनता नहीं है । श्रमरहित अवस्था विश्राम की होती है । श्रीकृष्ण 70 साल के हुए । एकाएक अनजान जगह पर चले गये । …

Read More ..

जीवन में धर्म, सुख-समृद्धि और परमानंद लाना है तो ‘ऋषि प्रसाद’ के अभ्यासी बन जाइये- श्री धनंजय देसाई, संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू राष्ट्र सेना


आप टाइम पास करने के लिए बहुत सारे संसाधनों का उपयोग करते हैं । वास्तव में आप समय बिताते नहीं हैं, वह तो अपने-आप बीत रहा है, वह आपके रोकने से रुकेगा नहीं और भगाने से भागेगा नहीं । वास्तव में जो स्वाभाविक रूप से बीत रहा है आप उसका सदुपयोग कर सकते हैं लेकिन …

Read More ..

…इससे स्वतः भगवान से प्रेम प्रकट हो जायेगा।


यदि साधक के मन में यह भाव आये कि ‘भगवान को मैं जानता नहीं, मैंने उनको कभी देखा नहीं तो बिना देखे और बिना जानकारी के उन पर कैसे विश्वास किया जाय और उनको कैसे अपना माना जाय ?’ तो अपने मन को समझाना चाहिए कि ‘तू जिन-जिन पर विश्वास करता है और जिनको अपना …

Read More ..