बाल
भजनमाला
हे
प्रभु!
आनन्ददाता!!
हे प्रभु! आनन्ददाता !! ज्ञान हमको दीजिये।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये।।
हे प्रभु......
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें।।
हे प्रभु......
निंदा किसी की हम किसी से भूलकर भी न करें।
ईर्ष्या कभी भी हम किसी से भूलकर भी न करें।।
हे प्रभु...
सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें।
दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें।।
हे प्रभु....
जाय हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में।
हाथ डालें हम कभी न भूलकर अपकार में।।
हे प्रभु....
कीजिये हम पर कृपा अब ऐसी हे परमात्मा!
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा।।
हे प्रभु....
प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें।
प्रेम से हम संस्कृति ही नित्य ही सेवा करें।।
हे प्रभु...
योगविद्या ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें।
ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें।।
हे प्रभु....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
कदम
अपने आगे
बढ़ाता चला
जा....
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।
सदा प्रेम के गीत गाता चला जा।।
तेरे मार्ग में वीर ! काँटें बड़े हैं।
लिये तीर हाथों में वैरी खड़े हैं।
बहादुर सबको मिटाता चला जा।
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।।
तू है आर्यवंशी ऋषिकुल का बालक।
प्रतापी यशस्वी सदा दीनपालक।
तू संदेश सुख का सुनाता चला जा।
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।।
भले आज तूफान उठकर के आयें।
बला पर चली आ रही हों बलायें।
युवा वीर हैं दनदनाता चला जा।
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।।
जो बिछुड़े हुए हैं उन्हें तू मिला जा।
जो सोये पड़े हैं उन्हें तू जगा जा।।
तू आनंद डंका बजाता चला जा।
कदम अपना आगे बढ़ाता चला जा।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
ब्रह्मचर्य
के पालन से.....
ब्रह्मचर्य के पालन से स्वास्थ्य का संचार करें।
शक्ति का विकास करें चरित्र का निर्माण करें।। टेक।। - 2
यौवन की सुरक्षा से जीवन का उद्धार करें।
संयम की शक्ति से सर्वांगीण विकास करें।।
यौवन धन बरबाद हुआ है स्वच्छन्दी उच्छृंखल जीवन से,
टीवी सीरीयल चलचित्रों से अश्लील साहित्यों से।
इन सबको अब छोड़ के अपने यौवन को महकायें,
संतों के सत्संग में जाकर जीवन धन्य बनायें।।
ब्रह्मचर्य के पालन से....।। टेक।।
संयमहीन देशों में हुई है यौवन धन की तबाही,
तन-मन के कई रोग बढ़े हैं दुष्टच चरित्र अपराधी।
छोड़ के उनका अंध अनुकरण अपना देश बचायें,
ध्यान योग सेवा भक्ति से संस्कृति को अपनायें।।
ब्रह्मचर्य के पालन से....।। टेक ।।
संयम से ही शक्ति मिलेगी तन-मन स्वस्थ रहेंगे,
बुद्धि खूब कुशाग्र बनेगी नित्य प्रसन्न रहेंगे।
जीवन के हर कोई क्षेत्र में उन्नति हो के रहेगी,
लौकिक और पारलौकिक जग में प्रगति हो के रहेगी।।
ब्रह्मचर्य के पालन से....।। टेक ।।
देख लो अपनी संस्कृति में भी संयमी वीर हुए हैं,
महावीर और भीष्म पितामह जैसे वीर हुए हैं।
संयम की सीख उनसे ले के हम भी वीर बनेंगे,
विश्वगुरु के पद पर स्थापित अपना देश करेंगे।।
ब्रह्मचर्य के पालन से..... ।। टेक ।।
यौवन सुरक्षा के ग्रंथों को जन-जन तक पहुँचायें,
भटके उलझे युवावर्ग को संयम पथ दिखलायें।
युवाधन रक्षक अभियान को व्यापक तेज बनायें,
राष्ट्रोत्थान के दैवी कार्य में जीवन सफल बनायें।।
ब्रह्मचर्य के पालन से.... ।। टेक ।।
यौवन की सुरक्षा से....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
पीछे
मुड़कर क्या
देखे है.....
पीछे मुड़कर क्या देखे हैं आगे बढ़ता चल।
सफलता चरण चूमेगी आज नहीं तो कल।।
तू मीरा जैसी भक्ति कर, तू किसी भी दुःख से कभी न डर।
तू जनम-जनम के फिर ना मर, तारेंगे तुझको बस गुरुवर।।
गुरुभक्ति को अब तू पा ले, आये ना फिर ये पल।।
सफलता तेरे.....
तू वीर शिवाजी जैसा बन, तू भक्ति करने वाला बन।
तू ध्रुव के जैसा आज चमक, प्रह्लाद के जैसा प्यारा बन।।
बीती बातों को क्या सोचे, आगे बढ़ता चल।
सफलता तेरे....
तू शक्ति अपनी जान ले, तू खुद को ही पहचान ले।
कहना तू गुरु का मान ले, ऊँचा उठने की ठान ले।।
तेरे भीतर ही छिपा है, ईशप्राप्ति का बल।
सफलता तेरे.....
तेरे भीतर अमर खजाना है, बस पर्दे को हटाना है।
बुद्धि शक्ति को बढ़ाना है, बस ईश्वर को ही पाना है।।
करनी जैसी भी तू करेगा, पायेगा उसका फल।
सफलता तेरे....
गुरुप्रेम में डुबकी लगाये जा, गुरुमंत्र को कवच बनाये जा।
तू ज्ञान का अमृत पाये जा, गुरुवर के गुण ही गाये जा।।
जन्मों से तू भटक रहा है, अब तो जरा सँभल।
सफलता तेरे....
तुझे पतन से खुद को बचाना है, तुझे संयम अपना बढ़ाना है।
तुझे कभी नहीं घबराना है, बस आगे बढ़ते जाना है।।
शुद्ध रहे
तेरा जीवन,
जिसमें न हो
कपट और
छल।
सफलता तेरे....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
हम
बच्चे ʹबाल
संस्कारʹ के....
ૐૐ.... ૐ हरि ૐ.... – 2
हम बच्चे ʹबाल
संस्कारʹ के।
हम
प्यासे प्रभु
के प्यार के।।
टेक ।। -2
हममें
साहस शक्ति
है, मातृ-पितृ
गुरुभक्ति है।
- 2
हम ऋणी
हैं इनके
उपकार के। - 2
हम
बच्चे... ।। टेक
।।
हम झकदोर
दें अच्छे-अच्छों
को,
कमजोर न
समझो हम
बच्चों को। - 2
बड़े वीर
धीर गम्भीर
हैं,
पर
दुश्मन के लिए
तीर हैं। - 2
हम तेज
धार तलवार
की।। -
हम
बच्चे.....।। टेक
।।
हमको
चलना आता है,
आगे निकलना
आता है। - 2
दमदार
हैं कदम हम
बच्चों के।। -2
हम गिरते
हैं तो क्या
हुआ, हमको
सँभलना आता
है। -2
हम ढलते
घड़े कुम्हार
के।। -2
हम
बच्चे..... ।। टेक
।।
हम फूलों
से भी कोमल
हैं, हम जल से
भी निर्मल हैं।
-2
सब प्यार
करते हैं हम
बच्चों को।। 2
हम
हँसते-खिलते
सावन हैं,
हम पावन
से अति पावन
हैं। - 2
हम आधार
सृष्टि
श्रृंगार
के।। - 2
हम बच्चे
बाल संस्कार
के....।। टेक।।
हम सबका
लक्ष्य महान
है, हमें पाना
आत्मज्ञान है।
- 2
अधिकार
है ये पूरा हम
सभी को।। -2
हम
ऋषियों की
संतान हैं,
हमें करनी निज
पहचान है। - 2
हम
प्यासे प्रभु
दीदार के।। - 2
हम
बच्चे.... हममें
साहस...
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
बाल
संस्कार केन्द्र
का...
बाल
संस्कार
केन्द्र का बस
यही है नारा।-2
हर शहर, हर
गाँव-गाँव में
बहेगी
संस्कार
धारा।। टेक।।
-2
धरती से
अम्बर तक
देखो, अपना
शुभ संकल्प
फेंको।
गुरुकृपा
जो है सब पे तो,
मदद करेंगे
देव अनेकों।।
-2
बाल
संस्कार
केन्द्र.... हर
शहर... ।।टेक।।
बच्चा
बच्चा जाग
उठेगा, हर
इन्साँ बेदाग
उठेगा।
संतकृपा
से उन्नत
होने, तत्पर
हो बेताब
उठेगा।। -2
बाल
संस्कार
केन्द्र.. हर
शहर...।।टेक।।
बच्चों
तुम बलवान
बनो, गुरुसेवा
और ध्यान करो।
गुरुमंत्र
का जाप करके,
बुद्धि से
धनवान बनो।। -2
बाल
संस्कार... हर
शहर..।।टेक।।
महापुरुषों
की शरण में
जाकर, अपना
जीवन धन्य
बनाकर।
आत्मपद की
प्राप्ति
करके,
सांस्कृतिक
सुवास फैलाओ।।-2
बाल
संस्कार.... हर
शहर....।।टेक।।
विश्वगुरु
हो भारत
प्यारा, बस
यही संकल्प
हमारा।-3
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
बढ़े
चलो, बढ़े चलो......
बढ़े
चलो, बढ़े चलो,
बढ़े चलो,
बढ़े चलो। -2
न हाथ एक
शस्त्र हो, न
साथ एक अस्त्र
हो।
न अन्न नीर
वस्त्र हो,
हटो नहीं डटो
वहीं।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो....। -2
बढ़े चलो.... न
हाथ एक
शस्त्र....।।टेक।।
रहे समझ हिम
शिखर,
तुम्हारा पग
उठे निखर।
भले ही जाये
तन बिखर, रूको
नहीं झुको
नहीं।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो....। – 2
बढ़े चलो... न
हाथ एक
शस्त्र.....।।टेक।।
घटा घिरी
अटूट हो,
अधर्म कालकूट
हो।
वहीं अमृत
घूँट हो, जिये
चलो करे चलो।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो....। -2
बढ़े चलो.... न
हाथ एक
शस्त्र...
।।टेक।।
जमीं उगलती
आग हो, छिड़ा
मरण का राग
हो।
लहू का अपने
फाग हो, अड़ो
वहीं गड़ो
वहीं।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो....। – 2
बढ़े चलो... न
हाथ एक
शस्त्र...।।टेक।।
चलो नयी
मिसाल हो, जलो
तुम्हीं मशाल
हो।
बढ़ो नया
कमाल हो, रुको
नहीं झुको
नहीं।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो....। -2
बढ़े चलो... न
हाथ एक
शस्त्र....।।टेक।।
बढ़े चलो,
बढ़े चलो, बढ़े
चलो, बढ़े
चलो।। - 3
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
पलक
पावड़े
अभिनंदन को....
(पूज्य बापू
जी के ʹअवतरण-दिवसʹ पर अर्पित
श्रद्धा-सुमन)
पलक पावड़े
अभिनंदन को -2
हमने पथ में
बिछाये
हैं।।टेक।।2
अर्पित हैं
स्वीकार
कीजिये – 2
श्रद्धा सुमन
जो लाये हैं।।
-2
धारण करते
धनुष कभी और – 2
बंसी कभी
बजाते हैं।
जब-जब होती
हानि धर्म की – 2,
प्रभु धरा पर
आत हैं।
घोर निराशा
हरने को – 2,
सदगुरु रूप
में आये हैं।
पलक
पावड़े....।।टेक।।
इन्द्रधनुष
उतरा अम्बर
से-2, चरण चूमने
गुरुवर के।
साधक बन गये
गोप गोपियाँ
झूमे -2, संग-संग
प्यारे
गुरुवर के।
आपने अपनी
मधु चितवन से -2,
सबके चित्त
चुराये हैं।
पलक
पावड़े...।।टेक।।
परम पवित्र
अवसर आया है -2,
मंगल घड़ियाँ
लाया है।
आज के शुभ
दिन ही तो
हमने -2, प्यारा
सदगुरु पाया है।
श्रीचरणों
में आकर हमने -2,
अपने भाग्य
जगाये हैं।
पलक
पावड़े....।।टेक।।
अजर-अमर
गुरुदेव
आपसे-2, हिरदय
की भावना यही।
बढ़ता रहे
यश तेज आपका-2,
हम सबकी कामना
यही।
भावों की
माला चरणों
में अर्पण -2,
करने हम सब आये
हैं।
पलक पावड़े...
अर्पित हैं....
।।टेक।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
हे भारत
के
विद्यार्थियो
!.....
हे भारत के
विद्यार्थियो
! -2
तुम बनो जगत
में इतने
महान।
गौरव देख
तुम्हारा
तुमको, दुनिया
करे प्रणाम।।टेक।।-2
योगासन,
जप-ध्यान
करके, तन-मन को
तंदरूस्त बनाओ
तुम।
रामभक्त
हनुमान की नाई
बन के, बल,
बुद्धि और भक्ति
बढ़ाओ तुम।।
हे भारत के
विद्यार्थियो
!....।।टेक।।
पढ़कर के ʹयुवाधन
सुरक्षाʹ, संयम की पाओ
तुम शिक्षा।
सदगुरु के
सान्निध्य
में जाकर,
सारस्वत्य मंत्र
की लो
दीक्षा।।
हे भारत के
विद्यार्थियो
!...।।टेक।।
हे आर्यवंश
के वीरो ! तुम एक बनो,
विनयी,
विवेकी,
बुद्धिमान और
नेक बनो।
सदगुरु से
आत्मज्ञान
पाकर, तुम
कर्णधार भारत के
शिलालेख
बनो।।
हे भारत के
विद्यार्थियो
!....।।टेक।।
बापू जी के ʹबाल संस्कारʹ में जाकर,
संस्कारों से
महकाओ उपवन।
उद्यमी,
साहसी, धीर,
पराक्रमी
बनकर, शक्ति,
भक्ति और
मुक्ति का पाओ
धन।।
हे भारत के
विद्यार्थियो
!....।।टेक।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
यह शरीर
मंदिर है
प्रभु का....
यह शरीर
मंदिर है
प्रभु का -2,
कण-कण में है
भगवान। -2
दैवी सम्पदा
भरते जायें -2,
भारत देश
महान।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
भेद नहीं है अपना पराया-2, ईश्वर की संतान। -2
गुरु सन्देश सुनाते जायें -2, भारत देश महान।।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
होता है निर्दोष बाल मन-2, गुरु देते हैं ज्ञानांजन।-2
सुसंस्कार ये जाते जायें-2, भारत देश महान।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
गुरुकुल युग पुनः आयेगा-2, हो जाओ तैयार।-2
ओज तेज यहाँ बढ़ता जाय-2, भारत देश महान।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
गीता है आधार यहाँ का-2, गुरु का आत्मज्ञान-2
यही ज्ञान सँजोते जायें-2, भारत देश महान।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
माटी है भारत की पावन-2, देव है हर इनसान।-2
ज्ञानामृत यहाँ पीते जायें-2, भारत देश महान।।-2
यह शरीर
मंदिर है.....
दैवी सम्पदा भरते जायें.....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
न्यारे-न्यारे
फूल खिले हैं.....
न्यारे-न्यारे फूल खिले हैं, बाल संस्कार केन्द्र में। -2
सदगुरु कृपा से प्राप्त, सुसंस्कार महिमा गायेंगे। -2
बापूजी के दिव्य ज्ञान से-2, सकल धरा महकायेंगे।-2
न्यारे-न्यारे फूल खिले...
उद्यम, साहस, शक्ति, पराक्रम, धैर्य से ऊँचा लक्ष्य पायेंगे।।-2
शक्ति, भक्ति और मुक्ति का -2, मार्ग सबको बतायेंगे।-2
न्यारे-न्यारे फूल खिले...
योगासन और प्राणायाम से, सुषुप्त शक्तियाँ जगायेंगे।-2
भारतीय संस्कृति की गरिमा को-2, जन जन को समझायेंगे।-2
न्यारे-न्यारे फूल खिले...
दीन-दुःखियों की सेवा करके, सच्ची राह दिखायेंगे।-2
सबक मंगल सबका भला हो-2 ये संदेश फैलायेंगे।-2
न्यारे-न्यारे फूल खिले...
गुरुसेवा में होकर तत्पर, गुरुनाम प्रीति जगायेंगे।-2
सदगुरुजी के संदेश को-2, आदर्श अपना बनायेंगे।2
न्यारे-न्यारे फूल खिले हैं, बाल संस्कार केन्द्र में।-2
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
हम भारत
के लाल हैं....
हम भारत के लाल हैं, ऋषियों की संतान हैं।
कोई देश नहीं दुनिया में, बढ़कर हिन्दुस्तान से।।टेक।।
हरि ૐ हरि ૐ हरि ૐ हरि ૐ-2
गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ
गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ
इस धरती पर पैदा होना, बड़े गर्व की बात है।
साहस और वीरता अपने, पुरखों की सौगात है।।
हम भारत के.....।।टेक।।
कूद समर में आगे आये, जब भी हम ललकारने।
अँगुली दाँतों तले दबायी, अचरज से संसार ने।।
हम भारत के.....।।टेक।।
गौरवपूर्ण इतिहास हमारा, अब भविष्य चमकायेंगे।
भारत माँ की महिमा को हम, वापस वहीं पहुँचायेंगे।।
हम भारत के....।।टेक।।
बाल संस्कार केन्द्र के बच्चे हम, भारत को विश्वगुरु बनायेंगे।
आत्मज्ञान की विजय पताका, पूरे विश्व में फहरायेंगे।।
हम भारत के....।।टेक।।
कभी महकते कभी चहकते, जीते मरते शान से।
झुकना नहीं आगे बढ़ना है, सराबोर गुरुज्ञान से।।
हम भारत के....।।टेक।।
हरि ૐ हरि ૐ हरि ૐ हरि ૐ-2
गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ
गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ गुरु ૐ
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
नश्वर
जहाँ में
भगवन्.....
नश्वर जहाँ में भगवन्, हमको तेरा सहारा-सहारा।
मतलब के मीत सारे, सच्चा है दर तुम्हारा-तुम्हार।।
नश्वर जहाँ में भगवन्.....
कोई धन से प्यार करता, कोई तन से प्यार करता।
बालक हूँ मैं तो तेरा, तुझे मन से प्यार करता-करता।
तेरे बिना नहीं है, अपना यहाँ गुजारा-गुजारा।।
नश्वर जहाँ में भगवन्, हमको तेरा सहारा-सहारा।
नश्वर जहाँ में भगवन्.....
क्या भेंट तेरी लाऊँ, चरणों में क्या चढ़ाऊँ।
तेरा है तुझको अर्पण, बस बात ये बताऊँ-बताऊँ।
हमको शरण में ले लो, अनुरोध है हमारा-हमारा।।
नश्वर जहाँ में भगवन्, हमको तेरा सहारा-सहारा।
नश्वर जहाँ में भगवन्.....
तुम हो दयालु स्वामी, सेवक तुम्हें मनाता।
संकट की हर घड़ी में, बस तू ही याद आता-आता।
जब डगमगाती नैया, देता है तू किनारा-किनारा।।
नश्वर जहाँ में भगवन्, हमको तेरा सहारा-सहारा।
नश्वर जहाँ में भगवन्.....
दृष्टि दया की रखना, हम हैं तेरे सहारे।
जीवन की नाव प्रभु जी, कर दी तेरे हवाले-हवाले।
बन जाय बात अपनी, कर दे तू इशारा-इशारा।।
नश्वर जहाँ में... मतलब के मीत....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
मात
पिता गुरु
प्रभु चरणों
में.....
मात
पिता गुरु
प्रभु चरणों
में प्रणव्रत
बारम्बार।
हम
पर किया बड़ा
उपकार, हम पर
किया बड़ा
उपकार।।
टेक।।
माता
ने जो कष्ट
उठाया, वह ऋण
कभी न जाये
चुकाया।
अँगुली
पकड़कर चलना
सिखाया, ममता
की दी शीतल छाया।
जिनकी
गोदी में पलकर
हम, कहलाते
होशियार।
हम
पर किया.......
मात-पिता...........।।
टेक।।
पिता
ने हमको योग्य
बनाया, कमा
कमाकर अन्न
खिलाया।
पढ़ा
लिखा गुणवान
बनाया, जीवन
पथ पर चलना
सिखाया।
जोड़-जोड़
अपनी संपत्ति
का, बना दिया
हकदार।
हम
पर किया.......
मात-पिता...........।।
टेक।।
तत्त्वज्ञान
गुरु ने
दरशाया,
अंधकार सब दूर
हटाया।
हृदय
में भक्ति दीप
जलाकर,
हरिदर्शन का
मार्ग बताया।
बिन
स्वारथ ही
कृपा करें वे,
कितने बड़े
हैं उदार।
हम
पर किया.......
मात-पिता...........।।
टेक।।
प्रभु
किरपा से नर
तन पाया, संत
मिलन का साज
सजाया।
बल,
बुद्धि और
विद्या देकर,
सब जीवों में
श्रेष्ठ
बनाया।
जो
भी इनकी शरण
में आता, कर
देते उद्धार।
हम
पर किया.......
मात-पिता...........।।
टेक।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
हिम्मत
न हारिये.....
हिम्मत ना हारिये प्रभु ना बिसारिये।-2
हँसते मुस्कराते हुए जिंदगी न गुजारिये।।-2
काम ऐसे कीजिये कि जिनसे हो सबका भला।
बात ऐसी कीजिये जिसमें हो अमृत भरा।
मीठी बोली बोल सबको प्रेम से पुकारिये।-2
कड़वे बोल-बोल के ना जिंदगी बिगाड़िये।।
हँसते मुस्कराते......
अच्छे कर्म करते हुए दुःख भी अगर पा रहे।
पिछले पाप कर्मों का भुगतान वो भुगता रहे।
सदगुरु की भक्ति करके पाप को मिटाइये।-2
गलतियों से बचते हुए साधना बढ़ाइये।
गलतियों से बचते हुए भक्ति को बढ़ाइये।।
हँसते मुस्कराते......
मुश्किलों मुसीबतों का करना है जो खात्मा।
हर समय कहना तेरा शुक्र है परमात्मा।
फरियादें करके अपना हाल ना बिगाड़िये।-2
जैसे प्रभु राखे वैसे जिंदगी गुजारिये।।
हँसते मुस्कराते......
हृदय की किताब पर ये बात लिख लीजिये।
बन के सच्चे भक्त सच्चे दिल से अमल कीजिये।
करके अमल बन के कमल तरिये और तारिये।-2
जग में जगमगाती हुई जिंदगी गुजारिये।।
हिम्मत ना हारिये..... हँसते मुस्कराते...
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
तेरे
फूलों से भी
प्यार.....
तेरे फूलों से भी प्यार, तेरे काँटों से भी प्यार।-2
जो भी देना चाहे, दे दे करतार, दुनिया के तारणहार।।
हमको दोनों हैं पसन्द, तेरी धूप और छाँव।-2
दाता ! किसी भी दिशा में ले चल, जिंदगी की नाव।-2
चाहे हमें लगा दे पार,चाहे छोड़ हमें मझदार।।-2
जो भी देना चाहे.....
चाहे सुख दे या दुःख, चाहे खुशी दे या गम।-2
मालिक ! जैसे भी रखेंगे, वैसे रह लेंगे हम।-2
चाहे काँटों के दे हार, चाहे हरा भरा संसार।।-2
जो भी देना चाहे....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
हमसे
प्रभुजी दूर
नहीं हैं......
हमसे प्रभु
जी दूर नहीं
हैं, ना हम
उनसे दूर हैं,
ना उनसे हम
दूर
हैं।।टेक।।
जैसा चाहे
वैसा राखे,
हमको तो मंजूर
है, हमको तो
मंजूर है।।
उसने हमको
जनम दिया है,
हमको वो ही
पालेगा।
हर हालत में
हमको तो बस, वो
ही आ के
सँभालेगा।।
उसकी है ये
सारी सृष्टि,
सबमें उसका
नूर है। हमसे
प्रभु जी....।।टेक।।
एक भरोसा
उसपे करके,
उसको ही हम
मान लें।
मिथ्या है
संसार ये
सारा, भेद ये
मन में जान लें।
मिथ्या है
सुख-दुःख ये
सारा, भेद ये
मन में जान लें।।
उसकी पूजा
उसकी भक्ति,
करनी हमें
जरूर है। हमसे
प्रभु
जी...।।टेक।।
किसमें है
कल्याण हमारा,
ये तो वो ही
जाने हैं।
धूप छाँव
दुःख दर्द
हमारे, सब वो
ही पहचाने हैं।।
दयादृष्टि
उस परम पिता
की, हम सब पर
भरपूर है। हमसे
प्रभु
जी....।।टेक।।
जो भी दे
परसाद समझ के,
प्रेम से हमको
पाना है।
बँगला दे या
दे दे
झोंपड़ी, रहकर
हमें दिखाना है।
देता सबको
यथायोग्य है,
यह उसका
दस्तूर है।। जैसा
चाहे वैसा....
हमसे प्रभु
जी... जैसा चाहे
वैसा....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
प्यार में.....
जोगी रे
क्या जादू है
तेरे प्यार
में... जोगी रे क्या
जादू है
तुम्हरे
ज्ञान में...
सौभाग्य से
मिले ये जोगी,
सबको धन्य
किया है।
शांति,
प्रेम और
ज्ञान का,
अमृत, हमने
यहीं पिया
है।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे जोग
में...
दूर भगाकर
सारी उदासी,
सबको
प्रसन्नता
देते।
तन-मन
पुलकित कर
देते, बदले
में कुछ नहीं
लेते।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे प्यार
में....
दुर्बलता
कायरता
मिटाकर, हमको
वीर बनाते।
बल के भाव
हैं भीतर
भरते, हर
विपदा को
हटाते।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
ज्ञान में....
जोगी के दर
पे हम आये,
भाग्य हमारा
जागे।
दर्शन करके
इस जोगी के,
शोक दुःख सब
भागे।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे जोग
में.....
जब-जब मेरा
जोगी झूमे,
लगे है सावन
आया।
मुरझाये दिल
खिल जाते हैं,
वसंत जैसे
छाया।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे प्यार में....
बड़ा सलोना
जोगी मेरा,
मनभावन और
पावन।
जब भी आये
लगे है जैसे,
खुशियों का हो
सावन।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
ज्ञान में....
चिंता शोक न
तनिक रहे
यहाँ, ऐसी आभा
इनकी।
शरण जो आये
दरस जो पाये,
बदली दुनिया
उनकी।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे जोग
में....
जोगी की
संगति में
आकर, ऊँचा धन
है पाया।
कोई इसको
छुड़ा न पाये,
शाश्वत रंग
लगाया।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
प्यार में....
सूर्य करे
है दिन में
उजाला, चाँद
करे रातों
में।
जोगी ज्ञान
का करे उजाला,
सतत सभी के
दिलों में।।
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
ज्ञान में....
जोगी रे
क्या जादू है
तुम्हरे
प्यार में....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
भारत के
नौजवानो !......
भारत के
नौजवानो ! भारत को
दिव्य बनाना।
तुम्हें
प्यार करे जग
सारा, तुम ऐसा
बन दिखलाना।।
भारत के
नौजवानो !.....
केवल इच्छा
न बढ़ाना,
संयम जीवन में
लाना।
सादा जीवन
तम जीना, पर
ताने रहना
सीना।।
भारत के
नौजवानो !....
जो लिखा है
सदग्रंथों
में, जो कुछ भी
कहा संतों ने।
उसको जीवन
में लाना,
वैसा ही बन
दिखलाना।।
भारत के
नौजवानो !.....
सारे जहाँ
से अच्छा,
हिन्दोस्ताँ
हमारा।-2
हम बुलबुले
हैं इसकी, ये
गुलसिताँ
हमारा-2।।
सारे जहाँ
से अच्छा,
हिन्दोस्ताँ
हमारा।
तुम
पुरुषार्थ तो
करना, पर नेक
राह पर चलना।
सज्जन का
संग ही करना,
दुर्जन से बच
के रहना।।
भारत के
नौजवानो !....
जीवन अनमोल
मिला है, तुम
मौके को मत
खोना।
यदि भटक गये
इस जग में,
जन्मों तक
पड़ेगा रोना।।
भारत के
नौजवानो ! भारत को
दिव्य
बनाना।-3
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
सादा
जीवन सच्चा
जीवन.....
सादा जीवन
सच्चा जीवन-2,
जग में सबसे
अच्छा जीवन।
आडम्बर और
दम्भरहित मन-2,
सच्ची
सम्पत्ति
सच्चा है धन।।
सादा जीवन
सच्चा जीवन,
सादा जीवन।
शुद्ध
पवित्र विचार
रखो और करो
सदा ही अच्छे
काम-2
ऐसा काम कभी
मत करना, छीने
जो मन का
विश्राम।
कभी बुरा
कोई रूप
दिखाकर-2,
तुम्हें डरा न
पाये दर्पण।।
सादा जीवन
सच्चा जीवन,
सादा जीवन।
लोभ, मोह,
दुर्व्यसन
त्याग और वैर
बुराई को तज
दे।-2
मेहनत की,
ईमान की रोटी
खाकर ईश्वर को
भज ले।
पाप, ताप से
मुक्ति पा ले-2,
स्वयं सँवार
ले अपना जीवन।।
सादा जीवन
सच्चा जीवन,
सादा जीवन।
परम पिता की
परम दया से,
मानव जीवन
हमें मिला।-2
परम पूज्य
गुरुकृपा से
इसमें ज्ञान,
भक्ति का कमल
खिला।
बापू के
सत्संग में
जैसे-2, पाया
हमने प्रकाश महान।।
सादा जीवन
सच्चा जीवन...
आडम्बर और
दम्भरहित मन....
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
बाल
संस्कार में
हम जायेंगे......
बाल संस्कार
में हम
जायेंगे,
बुद्धिमान बन
आयेंगे।।
त्रिकाल
संध्या वे बताते
हैं, तन-मन
स्वस्थ बनाते
हैं।
यौगिक
प्रयोग कराते
हैं,
स्मरणशक्ति
भी बढ़ाते
हैं।
खेल
प्रतियोगिता
में जायेंगे,
बल बुद्धि को
बढ़ायेंगे।
बाल संस्कार
में हम
जायेंगे,
बुद्धिमान हम
बन आयेंगे।।1।।
ध्यान का भी
ज्ञान लेना
है, सूर्य को
भी जल देना
है।
त्राटक भी
हमें करना है,
विपत्तियों
से ना हमें
डरना है।
मंत्र-महिमा
हम गायेंगे,
भगवन्नाम
जपते सो जायेंगे।
बाल संस्कार
में हम
जायेंगे,
बुद्धिमान हम
बन आयेंगे।।2।।
पद्मासन
हमें सुहाता
है, आत्मबल वह
बढ़ाता है।
वज्रासन भी
हमें भाता है,
बलवान हमें
बनाता है।
ताड़ासन हम
कर पायेंगे,
संयम ओज
बढ़ायेंगे।
बाल संस्कार
में हम
जायेंगे,
बुद्धिमान हम
बन आयेंगे।।3।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
जागृत
हो भारत सारा......
जागृत हो
भारत सारा, ʹबाल संस्कारʹ का है ये
नारा।
गीत गाते
खुशी मनाते,
खेल खेल में
शिक्षा पाते।
नाच नाचते
धूम मचाते,
मीठे-मीठे भजन
भी गाते।
भारत रहे
सदा आगे
हमारा, ʹबाल
संस्कारʹ का है ये
नारा।।1।।
प्रेरक
सुंदर कहानी
सुनाते, श्वास
लेते अंक गिनाते।
ध्यान पंख
लगाकर उड़ते,
ज्ञान की
सीढ़ी हम हैं
चढ़ते।
केन्द्र तो
है प्रेम का
निर्झरा,
प्यारा-प्यारा
सबसे न्यारा।
जागृत हो
भारत सारा, ʹबाल संस्कारʹ का है ये
नारा।।2।।
केन्द में
ऐसा आनन्द
आता, ʹबाल संस्कारʹ में मैं नित
जाता।
न जा पाऊँ तो
रोना आता,
इतना तो ये
मुझको भाता।
बालक है
बापू को
प्यारा, घर-घर
बहेगी
संस्कार धारा।
जागृत हो
भारत सारा, ʹबाल संस्कारʹ का है ये
नारा।।3।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
जन्मदिन
तुम ऐसा मनाओ....
भारतीय
संस्कृति तुम
अपनाओ,
जन्मदिन तुम
ऐसा मनाओ।
ʹहैप्पी बर्थ
डेʹ भूल ही जाओ,
जन्मदिन बधाई
कहो-कहलवाओ।।
सुबह
ब्रह्ममुहूर्त
में जागो,
मात-पिता-प्रभु
पाँवों लागो।
सभी बड़ों
के चरण छूना,
केक का नाम
भूल ही जाना।।
अपने सोये
मन को जगाओ,
अपना जीवन
उन्नत बनाओ।
भारतीय
संस्कृति तुम
अपनाओ,
जन्मदिन तुम
ऐसा मनाओ।।1।।
जन्मदिन
होता है दीये
जलाना, ना
होता ये दीये बुझाना।
दीपज्योति
से जीवन
जगमगाता, ना
इसे तम में ले जाना।।
वेदों की ये
शिक्षा पा लो,
ज्ञान सुधा से
मन महकाओ।
भारतीय
संस्कृति तुम
अपनाओ,
जन्मदिन तुम
ऐसा मनाओ।।2।।
आज तुम
अन्न-प्रसाद
बाँटना,
गरीबों को दान
भी देना।
गये साल का
हिसाब लगाना,
नये साल की
उमंगे जगाना।।
बापू कहते
सदा खुश रहो,
यही आशीष है
प्रभु-सुख पा
लो।
भारतीय
संस्कृति तुम
अपनाओ,
जन्मदिन तुम
ऐसा मनाओ।।3।।
ʹहैप्पी बर्थ
डेʹ भूल ही जाओ,
जन्मदिन बधाई
कहो-कहलवाओ।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
जन्म दिन
बधाई गीत
बधाई हो बधाई जन्मदिवस की बधाई
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
बधाई हो बधाई जन्मदिन की बधाई
जन्मदिवस पर देते हैं तुमको हम बधाई
जीवन का हर इक लम्हा हो तुमको सुखदायी
धरती सुखदायी हो अम्बर सुखदायी
जल सुखदायी हो पवन सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
मंगलमय दीप जलाओ उजियारा जग फैलाओ
उद्यम पुरुषार्थ जगा कर मंजिल को अपनी पाओ
हो शतंजीव हो चिरंजीव शुभ घड़ी आज आई
माता सुखदायी हो पिता सुखदायी
बन्धु सुखदायी हो सखा सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
सदगुण की खान बने तू इतना महान बने तू
हर कोई चाहे तुझको ऐसा इन्सान बने तू
बलवान हो तू महान हो करें गर्व तुझ पर सब हम
दर्शन सुखदायी हो सुमिरन सुखदायी
तन मन सुखदायी हो जीवन सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
ऋषियों का वंशज है तू ईश्वर का अंशज है तू
तुझमें है चंदा और तारे तुझमें ही सर्जन हारे
तू जान ले पहचान ले निज शुद्ध बुद्ध आत्म
ईश्वर सुखदायी ऋषिवर सुखदायी
सुमति सुखदायी हो सत्ज्ञान सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
आनंदमय जीवन तेरा खुशियों का हो सवेरा
चमके तू बन के सूरज हर पल हो दूर अंधेरा
तू ज्ञान का भण्डार है रखना तू है ये संयम
जग सुखदायी हो गगन सुखदायी
जल सुखदायी हो अगन सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
तुझमें न जीना मरना जग है केवल इक सपना
परमेश्वर है तेरा अपना निष्ठा तू ऐसी रखना
तू ध्यान कर निज रूप का तू सृष्टि का है उदगम
मंजिल सुखदायी हो सफर सुखदायी
सब कुछ सुखदायी हो बधाई हो बधाई
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
बधाई हो बधाई जन्मदिन की बधाई
जल थल पवन अगर और अम्बर हो तुमको सुखदायी
गम की धूप लगे न तुझको देते हम दुहाई
ईश्वर सुखदायी निश्वर सुखदायी
सुमति सुखदायी हो सत्ज्ञान सुखदायी
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
बधाई हो बधाई जन्मदिन की बधाई
बधाई हो बधाई शुभ दिन की बधाई
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
विफलता
आये तो......
विफलता आये
तो भी हमें,
पीछे नहीं है
हटना।
हार के पीछे
छुपी है जीत,
मायूस कभी ना
होना।।
सौ सौ बार
गिरे है चींटी,
फिर भी मंजिल
पे जाये।
गिरने से
तुम भी ना डरो,
संयम मन में
लाये।
हार से ना
डरती चिड़िया,
सीखे
धीरे-धीरे
उड़ना।
हार के पीछे
छुपी है जीत,
मायूस कभी ना
होना।।1।।
आधार काँटे होते
हुए भी, गुलाब
सबके मन को
भाये।
गलत
होते-होते ही,
तीर निशाने पर
लग जाये।
अर्जुन की
तरह एकाग्रता,
अपने मन में
लाना।
हार के पीछे
छुपी है जीत,
मायूस कभी न
होना।।2।।
गरीब हो या
अमीर, यारी
निष्काम किया
करो।
कृष्ण-सुदामा
जैसा
मित्रप्रेम,
तुम भी दो और लिया
करो।
संकट काल
में कृष्ण सखा
है, फिर किसी
से क्या माँगना
?
हार के पीछे
छुपी है जीत,
मायूस कभी ना
होना।।3।।
विफलता आये
तो भी हमें,
पीछे नहीं है
हटना।
हार के पीछे
छुपी है जीत,
मायूस कभी ना
होना।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
मुझको
बाल संस्कार
में भेजिये.....
पिता जी
इतना कीजिये,
मुझको बाल
संस्कार में भेजिये।
माता जी
इतना कीजिये,
मुझको बाल
संस्कार भेजिये।।
क्या आप
चाहते नहीं
हैं, कि मैं
तंदरूस्त
बनूँ।
मन प्रसन्न
बुद्धि तेज
हो, और अच्छे
कार्य चुनूँ।
तो कृपा मुझ
पे कीजिये,
मुझको बाल
संस्कार में
भेजिये।
पिता जी
इतना कीजिये....
माता जी इतना
कीजिये....।।1।।
क्या नहीं
चाहते
स्पर्धाओं
में, बनूँ मैं
तेजस्वी
तारा।
कठिन
परिस्थिति
में
साहसपूर्वक,
खुद को दूँ सहारा।
तो इतना ठान
लीजिये, मुझको
बाल संस्कार
में भेजिये।
पिता जी
इतना कीजिये...
माता जी इतना
कीजिये....।।2।।
क्या नहीं
चाहते आपका
लाडला, देश को
बनाये महान।
बोले सदा
प्यार की
जुबान, मन में
हो प्रभु गुणगान।
तो दृढ़
सुनिश्चय
कीजिये, मुझको
बाल संस्कार
में भेजिये।
पिता जी
इतना कीजिये...
माता जी इतना
कीजिये....।।3।।
आप भी
खुशियाँ
पाइये, समाज
को सुंदर
बनाइये।
संस्कारी
बालक अर्पण
कर, प्रभु की
कृपा को पाइये।
विनती मेरी
स्वीकारिये,
मुझको बाल
संस्कार में
भेजिये।
पिता जी
इतना कीजिये...
माता जी इतना
कीजिये....।।3।।
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
सबका
मंगल सबका भला
हो....
सबका मंगल
सबका भला हो
गुरु चाहना
ऐसी है।।टेक।।
इसीलिए तो
आये धरा पर
सदगुरु
आशारामजी
हैं।
सबका मंगल
सबका....
भारत का नया
रूप बनाने,
विश्वगुरु के
पद पे बिठाने,
योग सिद्धि
के खोले
खजाने, ज्ञान
के झरने फिर से
बहाने।
सबका मंगल
सबका....।।टेक।।
युवाधन को
ऊपर उठाने,
यौवन-संयम पाठ
सिखाने,
जन-जन भक्ति
शक्ति जगाने,
निकल पड़े
गुरु राम निराले।
सबका मंगल
सबका.....।।टेक।।
इक-इक बच्ची
शबरी-सी हो,
मीरा जैसी
योगिनी हो,
सती अनसूया
सती सीता हो,
मुख पर तेज
माँ शक्ति का
हो।
सबका मंगल
सबका.....।।टेक।।
नर-नर में
नारायण दर्शन,
सेवा कर फल
प्रभु को अर्पण,
दीन-दुःखी
को गले
लगायें, सबका
भला हो मन से
गायें।
सबका मंगल
सबका भला हो
गुरु चाहना
ऐसी है।।-3
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
ʹश्रीरामचरित
मानसʹ में
मित्र-धर्म
जे न मित्र
दुःख होहिं
दुखारी,
तिन्हीं
बिलोकत पातक
भारी।
निज सुख गिर
सम रज करी
जाना। मित्रक
दुःख रज मेरू
समाना।।1।।।
जो
लोग मित्र के
दुःख से दुःखी
नहीं होते,
उन्हें देखने
से ही बड़ा
पाप लगता है।
अपने पर्वत के
समान दुःख को
धूल के समान और
मित्र के धूल
के समान दुःख
को सुमेरू
(बड़े भारी
पर्वत) के
समान
जाने।।1।।
जिन्ह कें
असि मति सहज न
आई। ते सठ कत
हठि करत मिताई।।
कुपथ निवारि
सुपंथ चलावा।
गुन-प्रगटै
अवगुनन्हि
दुरावा।।2।।
जिन्हें
स्वभाव से ही
ऐसी बुद्धि
प्राप्त नहीं
है, वे मूर्ख
हठ करके क्यों
किसी से
मित्रता करते
हैं ? मित्र का
धर्म है कि वह
मित्र को बुरे
मार्ग से
रोककर अच्छे
मार्ग पर
चलाये। उसके
गुण प्रकट करे
और अवगुणों को
छिपाये।।2।।
देत लेत मन
संक न धरई। बल
अनुमान सदा
हित करई।।
बिपति काल
कर सतगुन
नेहा। श्रुति
कह संत मित्र
गुन रहा।।3।।
देने
लेने में मन
में शंका न
रखे। अपने बल
के अनुसार सदा
हित ही करता
रहे। विपत्ति
के समय में तो सदा
सौ गुना स्नेह
करे। वेद कहते
हैं कि संत (श्रेष्ठ)
मित्र के गुण
(लक्षण) ये
हैं।।3।।
आगे कह मृदु
वचन बनाई।
पाछें अनहित
मन कुटिलाई।।
जा कर चित
अहि गति सम
भाई। अस कुमित्र
परिहरेहिं
भलाई।।4।।
जो
सामने तो
बना-बनाकर
कोमल वचन कहता
है और पीठ
पीछे बुराई
करता है तथा
मन में
कुटिलता रखता
है – हे भाई ! (इस तरह)
जिसका मन साँप
की चाल के
समान टेढ़ा
है, ऐसे
कुमित्र को
त्यागने में
ही भलाई
है।।4।।
(श्रीरामचरित.
किष्किन्धा
कांडः 6.1,2,3,4)
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
आत्मपंचकम्
मनोबुद्ध्यहंकारचित्तानि
नाहं न च
श्रोत्रजिह्वे
न च
घ्राणनेत्रे।
न च
व्योमभूमिर्न
तेजो न वायुः
चिदानन्दरूपः
शिवोઽहं शिवोઽहम्।।
मैं
मन, बुद्धि,
अहंकार और
चित्त नहीं
हूँ, कर्ण और
जिह्वा नहीं
हूँ, नासिका
और नेत्र नहीं
हूँ, आकाश और
भूमि नहीं
हूँ, तेज नहीं
हूँ, वायु नहीं
हूँ। मैं तो
चैतन्य
आनन्दस्वरूप
शिव हूँ.... शिव
हूँ
(कल्याणस्वरूप
हूँ)।।1।।
न च
प्राणसंत्रौ
न वै पंचवायुः
न वा सप्तधातुर्न
वा पंचकोशः।
न
वाक्पाणिपादौ
न
चोपस्थपायुः
चिदानन्दरूपः
शिवोઽहं शिवोઽहम्।।
मैं
प्राण नहीं
हूँ, संज्ञा
नहीं हूँ,
पाँच वायु
नहीं हूँ, सात
धातु नहीं हूँ
अथवा पाँच कोश
नहीं हूँ। मैं
वाणी नहीं
हूँ, हाथ नहीं
हूँ, पैर नहीं
हूँ, मैं गुह्यांग
आदि नहीं हूँ।
मैं तो चैतन्य
आनन्दस्वरूप
शिव हूँ.... शिव
हूँ
(कल्याणस्वरूप
हूँ)।।2।।
न मे
द्वेषरागौ न
मे लोभमोहौ
मदो नैव मे
नैव
मात्सर्यभावः।
न धर्मो न
चार्थो न कामो
न मोक्षः
चिदानन्दरूपः
शिवोઽहं शिवोઽहम्।।
मुझे
राग और द्वेष
नहीं है, मुझे
लोभ और मोह नहीं
है, मुझे मद भी
नहीं है और
मात्सर्य
(ईर्ष्या) भी
नहीं है। मुझे
न कोई धर्म है
न अर्थ है, न काम
है न मोक्ष
है। मैं तो
चैतन्य
आनन्दस्वरूप
शिव हूँ... शिव
हूँ (कल्याणस्वरूप
हूँ)।।3।।
न पुण्यं न
पापं न सौख्यं
न दुःखं न
मंत्रो न तीर्थं
न वेदा न
यज्ञाः।
अहं भोजनं
नैव भोज्यं न
भोक्ता
चिदानन्दरूपः
शिवोઽहं शिवोઽहम्।।
मुझे
न कोई पुण्य
है न पाप है, न
सुख है न दुःख
है, मेरा न कोई
मंत्र है न
तीर्थ है, न
वेद है न यज्ञ
है। न मैं भोजन
हूँ न भोज्य
पदार्थ हूँ और
न भोक्ता हूँ।
मैं तो चैतन्य
आनन्दस्वरूप
शिव हूँ... शिव
हूँ (कल्याणस्वरूप
हूँ)।।4।।
अहं
निर्विकल्पो
निराकाररूपो
विभुर्व्याप्य
सर्वत्र
सर्वेन्द्रियाणाम्।
सदा मे
समत्वं न
मुक्तिर्नबन्धः
चिदानन्दरूपः
शिवोઽहं शिवोઽहम्।।
मैं
संकल्प-विकल्परहित
हूँ,
निराकारस्वरूप
हूँ। मैं
सर्वव्याप्त,
सर्व
इन्द्रियों
का स्वामी
हूँ। मैं सदैव
समत्व में
स्थित हूँ,
मुझे मुक्ति
या बंधन नहीं
है। मैं तो
चैतन्य आनन्दस्वरूप
शिव हूँ... शिव
हूँ
(कल्याणस्वरूप
हूँ)।।5।।
(श्रीमद्
आद्य
शंकराचार्यविरचितम्
ʹनिर्वाण
षटकम्ʹ से
संक्षिप्त)
ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ
गुरु
वन्दना
जय सदगुरु देवन देव वरं, निज भक्तन रक्षण देह धरं।
पर दुःख हरं सुख शांति करं, निरूपाधि निरामय दिव्य परं।।1।।
जय काल अबाधित शांतिमयं, जन पोषक शोषक ताप त्रयं।
भय भंजन देत परम अभयं, मन रंजन, भाविक भाव प्रियं।।2।।
ममतादिक दोष नशावत हैं, शम आदिक भाव सिखावत हैं।
जग जीवन पाप निवारत हैं, भवसागर पार उतारत हैं।।3।।
कहुँ धर्म बतावत ध्यान कहीं, कहुँ भक्ति सिखावत ज्ञान कहीं।
उपदेशत नेम अरु प्रेम तुम्हीं, करते प्रभु योग अरु क्षेम तुम्हीं।।4।।
मन इन्द्रिय जाही न जान सके, नहीं बुद्धि जिसे पहचान सके।
नहीं शब्द जहाँ पर जाय सके, बिनु सदगुरु कौन लखाय सके।।5।।
नहीं ध्यान न ध्यातृ न ध्येय जहाँ, नहीं ज्ञातृ न ज्ञान ज्ञेय जहाँ।
नहीं देश न काल न वस्तु तहाँ, बिनु सदगुरु को पहुँचाय वहाँ।।6।।
नहीं रूप न लक्षण ही जिसका, नहीं नाम न धाम कहीं जिसका।
नहीं सत्य असत्य कहाय सके, गुरुदेव ही ताही जनाय सके।।7।।
गुरु कीन कृपा भव त्रास गयी, मिट भूख गई छुट प्यास गयी।
नहीं काम रहा नहीं कर्म रहा, नहीं मृत्यु रहा नहीं जन्म रहा।।8।।
भग राग गया हट द्वेष गया, अध चूर्ण भया अणु पूर्ण भया।
नहीं द्वैत रहा सम एक भया भ्रम भेद मिटा मम तोर गया।।9।।
नहीं मैं नहीं तू नहीं अन्य रहा गुरु शाश्वत आप अनन्य रहा।
गुरु सेवत ते नर धन्य यहाँ, तिनको नहीं दुःख यहाँ न वहाँ।।10।।
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
संत
मिलन को जाइये
कबीर सोई
दिन भला जा
दिन साधु
मिलाय।
अंक भरे भरि
भेटिये पाप
शरीरां
जाय।।1।।
कबीर दरशन
साधु के बड़े
भाग दरशाय।
जो होवै
सूली सजा काटे
ई टरी
जाय।।2।।
दरशन कीजे
साधु का दिन
में कई कई
बार।
आसोजा का
मेह ज्यों
बहुत करै
उपकार।।3।।
कई बार नहीं
करि सकै दोय
बखत करि लेय।
कबीर साधु
दरस ते काल
दगा नहीं
देय।।4।।
दोय बखत
नहीं करि सकै
दिन में करू
इक बार।
कबीर साधु
दरस ते उतरे
भौ जल
पार।।5।।
दूजै दिन
नहीं करि सकै
तीजे दिन करू
जाय।
कबीर साधु
दरस ते मोक्ष
मुक्ति फल
पाय।।6।।
तीजे चौथै
नहीं करै
सातैं दिन करू
जाय।
या में
विलम्ब न
कीजिये कहै
कबीर समुझाय।।7।।
सातैं दिन
नहीं करि सकै
पाख पाख करि
लेय।
कहे कबीर सो
भक्तजन जनम
सुफल करि
लेय।।8।।
पाख पाख
नहीं करि सकै
मास मास करू
जाय।
ता में देर न
लाइये कहै
कबीर
समुझाय।।9।।
मात-पिता
सुत इस्तरी
आलस बन्धु
कानि।
साधु दरस को
जब चले ये
अटकावै
खानि।।10।।
इन अटकाया
ना रहै साधू
दरस को जाय।
कबीर सोई
संत जन मोक्ष
मुक्ति फल
पाय।।11।।
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महिला
उत्थान
ट्रस्ट
संत श्री
आशाराम आश्रम
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