गुरु का द्वार ना छूटे

सब से सुन्दर सब से प्यारा है गुरु का दरबार

हम करते हैं इस द्वारे को वन्दन बारंबार

कभी विश्वास ना टूटे, गुरु का द्वार ना छूटे ॥

 

तेरी भक्ति से बनते हैं बिगड़े कारज सारे

तुम ही मुकुट मणि हो तुम ही सरताज हमारे

तेरी शरण में आकर हमने पाया सच्चा सार

कभी विश्वास ना टूटे गुरु का द्वार ना छूटे ॥१॥

 

झट से दौड़े आते जो दिल से तुम्हें पुकारे

देह कहीं भी रहती तुम रहते पास हमारे

तेरे चरणों में ही बसा है भक्तों का संसार

कितना सुंदर कितना प्यारा है गुरु का दरबार

हम करतें हैं इस द्वारे को वन्दन बारंबार

कभी विश्वास ना टूटे, गुरु का द्वार ना छूटे ॥२॥