।। ॐ सदगुरु परमात्मने नमः ।।

श्री आसारामायणजी की आरती

 

आरती श्री आसारामायणजी की

शिष्यों के हृदय मलहार कीन्हीं

 

दिव्य लीलायें गुरुजी की तुमने,

कष्ट हरण की शक्ति तुमसे,

तुम हो शक्ति आनन्द की जननी,

आरती श्री आसारामायणजी की....

 

तुम पतित अनेक उधारे-2

सबके बिगड़े काज सवारे,

तुम हो सुख लाभ की जननी,

आरती श्री आसारामायणजी की....

 

अनुष्ठान जो तुम्हारा करते-2,

भवसागर से निश्चित तरते,

महिमा तुम्हारी बड़ी निराली,

आरती श्री आसारामायणजी की....

 

सर्व सुखकारी सर्वदुःखहारी,

भवभयहारी, कष्टनिवारी,

भवभयहारी पापनिवारी,

हमको कीजिए भव जल हारी, भयहारी,

आरती श्री आसारामायणजी की.....

 

हरि ॐ.... हरि ॐ.... हरि ॐ...

 

।। सदगुरुदेव की जय।।