मंत्रदीक्षा से दिव्य लाभ

पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षा लेने के बाद साधक के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ होने लगते हैं, जिनमें 18 प्रकार के प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं-

1.      गुरुमंत्र के जप से बुराइयाँ कम होने लगती हैं। पापनाश व पुण्य संचय होने लगता है।

2.      मन पर सुख-दुःख का प्रभाव पहले जैसा नहीं पड़ता।

3.      सांसारिक वासनाएँ कम होने लगती हैं।

4.      मन की चंचलता वि छिछरापन मिटने लगता है।

5.      अंतःकरण में अंतर्यामी परमात्मा की प्रेरणा प्रकट होने लगती है।

6.      अभिमान गलता जाता है।

7.      बुद्धि में शुद्ध-सात्त्विक प्रकाश आने लगता है।

8.      अविवेक नष्ट होकर जागृत होता है।

9.      चिंता को समाधान, शांति मिलती है, भगवदरस, अंतर्मुखता का रस और आनंद आने लगता है।

10.  आत्मा व ब्रह्म की एकता का ज्ञान प्रकाशित होता है कि मेरा आत्मा परमात्मा का अविभाज्य अंग है।

11.  हृदय में भगवत्प्रेम निखरने लगता है, भगवन्नाम, भगवत्कथा में प्रेम बढ़ने लगता है।

12.  परमानंद की प्राप्ति होने लगेगी और भगवान में भगवान का नाम एक है – ऐसा ज्ञान होने लगता है।

13.  भगवन्नाम व सत्संग में प्रीति बढ़ने लगती है।

14.  मंत्रदीक्षित साधक के चित्त में पहले की अपेक्षा हिलचालें कम होने लगती हैं और वह समत्वयोग में पहुँचने के काबिल बनता जाता है।

15.  साधक साकार या निराकार जिसको भी मानेगा, उसी इष्ट की प्रेरणा से उसके ज्ञान व आनंद के साथ और अधिक एकाकारता का एहसास करने लगेगा।

16.  दुःखालय संसार में, दुन्यावी चीजों में पहले जैसी आसक्ति नहीं रहेगी

17.  मनोरथ पूर्ण होने लगते हैं।

18.  गुरुमंत्र परमात्मा का स्वरूप ही है। उसके जप से परमात्मा से संबंध जुड़ने लगता है।

इसके अलावा गुरुमंत्र के जप से 15 दिव्य शक्तियाँ जीवन में प्रकट होने लगती हैं।

 

 

गुरुमंत्र के जप से उत्पन्न 15 शक्तियाँ

1.      भुवनपावनी शक्तिः नाम कमाई वाले संत जहाँ जाते हैं, जहाँ रहते हैं, यह भुवनपावनी शक्ति उस जगह को तीर्थ बना देती है।

2.      सर्वव्याधिनाशिनी शक्तिः सभी रोगों को मिटाने की शक्ति।

3.      सर्वदुःखहारिणी शक्तिः सभी दुःखों के प्रभाव को क्षीण करने की शक्ति।

4.      कलिकालभुजंगभयनाशिनी शक्तिः कलियुग के दोषों को हरने की शक्ति।

5.      नरकोद्धानरिणी शक्तिः नारकीय दुःखों या नारकीय योनियों का अंत करने वाली शक्ति।

6.      प्रारब्ध-विनाशिनी शक्तिः भाग्य के कुअंकों को मिटाने की शक्ति।

7.      सर्व अपराध भंजनी शक्तिः सारे अपराधों के दुष्फल का नाश करने की शक्ति।

8.      कर्म संपूर्तिकारिणी शक्तिः कर्मों को सम्पन्न करने की शक्ति।

9.      सर्ववेददीर्थादिक फलदायिनी शक्तिः सभी वेदों के पाठ व तीर्थयात्राओं का फल देने की शक्ति।

10.  सर्व अर्थदायिनी शक्तिः सभी शास्त्रों, विषयों का अर्थ व रहस्य प्रकट कर देने की शक्ति।

11.  जगत आनंददायिनी शक्तिः जगत को आनंदित करने की शक्ति।

12.  अगति गतिदायिनी शक्तिः दुर्गति से बचाकर सदगति कराने की शक्ति।

13.  मुक्तिप्रदायिनी शक्तिः इच्छित मुक्ति प्रदान करने की शक्ति।

14.  वैकुंठ लोकदायिनी शक्तिः भगवद धाम प्राप्त कराने की शक्ति।

15.  भगवत्प्रीतिदायिनी शक्तिः भगवान की प्रीति प्रदान करने की शक्ति।

पूज्य बापू जी दीक्षा में ॐकार युक्त वैदिक मंत्र प्रदान करते हैं, जिससे 19 प्रकार की अन्य शक्तियाँ भी प्राप्त होती हैं। उनकी विस्तृत जानकारी आश्रम से प्रकाशित पुस्तक भगवन्नाम जप महिमा में दी गयी है।

पूज्य बापू जी से मंत्रदीक्षा लेकर भगवन्नाम जप करने वालों को उपरोक्त प्रकार के अनेक-अनेक लाभ होते हैं, जिसका पूरा वर्णन करना असंभव है। रामु न सकहिं गुन गाई।

इसलिये हे मानव ! उठ, जाग और पूज्य बापू जी जैसे ब्रह्मनिष्ठ सदगुरु से मंत्रदीक्षा प्राप्त कर..... नियमपूर्वक जप कर.... फिर देख, सफलता तेरी दासी बनने को तैयार हो जायेगी !

स्रोतः लोक कल्याण सेतु

 

 

मंत्रदीक्षा में मिलने वाले आशीर्वाद मंत्र के लाभ

पूज्य बापूजी मंत्रदीक्षा के समय गुरुमंत्र या सारस्वत्य मंत्र के साथ एक आशीर्वाद मंत्र भी देते हैं। रोज इस मंत्र का एक माला जप करने से हार्टअटैक आदि हृदय के विकारों से रक्षा होती है। दिमाग के रोगों में भी लाभ होता है। यदि यकृत (लीवर) खराब हो गया हो तो इसके नियमित जप से ठीक हो जाता है। इससे पाचन की गड़बड़ियाँ भी ठीक हो जाती हैं और भूख खुलकर लगती है। यदि पीलिया (जान्डिस) हो तो इस मंत्र का 50 माला जप करने से दूर हो जाता है। कुछ दिन तक रोज दस माला जप करने से पति-पत्नी के झगड़े शांत होते हैं।

रक्तचाप (हाई बी.पी., लो बी.पी.) में भी इस आशीर्वाद मंत्र के जप से फायदा होता है। नाक के रोगों में इसका मंगलवार या गुरुवार को दस माला जप करने से आराम मिलता है। ब्रांकाइटिस (श्वासनाली शोथ) के उपचार में इसका उच्चारण बहुत लाभ पहुँचाता है।

स्रोतः लोक कल्याण सेतु

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गुरुमंत्र के जप से खुल जाते हैं भाग्य के ताले

गुरुमंत्र के जप से व्यक्ति की जन्मकुंडली में विभिन्न स्थानों की शुद्धि होती है और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार हैं-

1 करोड़ जपः तन स्थान की शुद्धि, रज-तम नाश, सत्त्ववृद्धि, रोग बीज नाश, शुभ स्वप्न, स्वप्न में संत देव दर्शन, वार्ता।

2 करोड़ जपः धन स्थान, कुटुम्ब स्थान शुद्धि, धनप्राप्ति, कुटुम्ब स्थान शुद्धि, धनप्राप्ति, कुटुम्ब वियोग-संयोग, सुखवृद्धि।

3 करोड़ जपः सहज स्थान शुद्धि, असाध्य कार्य साध्य, सभी का प्रेम प्राप्त।

4 करोड़ जपः सुख स्थान शुद्धि, शरीर और मन के आघात कम।

5 करोड़ जपः पुत्र स्थान-विद्या स्थान शुद्धि, अपुत्रवान को पुत्र, पुत्रवान के पुत्र का अच्छे घर संबंध, अविद्वान को विद्या, बुद्धिशक्ति जाग्रत, धारणाशक्ति, ग्रहणशक्ति वृद्धि।

6 करोड़ जपः शत्रुस्थान शुद्धि, शत्रु व रोग नाश।

7 करोड़ जपः स्त्री स्थान शुद्धि, विवाह न हो तो विवाह, दंपत्ति अनुकूल।

8 करोड़ जपः मृत्यु स्थान शुद्धि, अकाल मृत्यु नहीं।

9 करोड़ जपः धर्म स्थान शुद्धि, धन स्थान शुद्धि, मंत्रदेव-सगुण।

10 करोड़ जपः कर्म स्थान शुद्धि, दुष्कर्म नाश, सत्कर्म।

11 करोड़ जपः आय स्थान शुद्धि, धन, गृह, भूमि लाभ, सत्त्ववृद्धि।

12 करोड़ जपः व्यय स्थान शुद्धि, अनीतिमय व्यय बंद। रज-तम पूर्ण नाश, स्वप्न या प्रत्यक्ष गुरुकृपा, कृतकृत्य।

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