Divya Prerna Prakash

 

आज तक पूज्यश्री के सम्पर्क में आकर असंख्य लोगों ने अपने पतनोन्मुख जीवन को यौवन सुरक्षा के प्रयोगों द्वारा ऊर्ध्वगामी बनाया है। वीर्यनाश और स्वप्नदोष जैसी बीमारियों की चपेट में आकर हतबल हुए कई युवक-युवतियों के लिए अपने निराशापूर्ण जीवन में पूज्यश्री की सतेज अनुभवयुक्त वाणी एवं उनका पवित्र मार्गदर्शन डूबते को तिनके का ही नहीं, बल्कि नाव का सहारा बन जाता है।

समाज की तेजस्विता का हरण करने वाला आज के विलासितापूर्ण, कुत्सित और वासनामय वातावरण में यौवन सुरक्षा के लिए पूज्यश्री जैसे महापुरुषों के ओजस्वी मार्गदर्शन की अत्यंत आवश्यकता है।

उस आवश्यकता की पूर्ति हेतु ही पूज्यश्री ने जहाँ अपने प्रवचनों में ‘अमूल्य यौवन-धन की सुरक्षा’ विषय को छुआ है, उसे संकलित करके पाठकों के सम्मुख रखने का यह अल्प प्रयास है।

इस पुस्तक में स्त्री-पुरुष, गृहस्थी-वानप्रस्थी, विद्यार्थी एवं वृद्ध सभी के लिए अनुपम सामग्री है। सामान्य दैनिक जीवन को किस प्रकार जीने से यौवन का ओज बना रहता है और जीवन दिव्य बनता है, उसकी भी रूपरेखा इसमें सन्निहित है और सबसे प्रमुख बात कि योग की गूढ़ प्रक्रियाओं से स्वयं परिचित होने के कारण पूज्यश्री की वाणी में तेज, अनुभव एवं प्रमाण का सामंजस्य है जो अधिक प्रभावोत्पादक सिद्ध होता है।

यौवन सुरक्षा का मार्ग आलोकित करने वाली यह छोटी सी पुस्तक दिव्य जीवन की चाबी है। इससे स्वयं लाभ उठायें एवं औरों तक पहुँचाकर उन्हें भी लाभान्वित करने का पुण्यमय कार्य करें।

श्री योग वेदान्त सेवा समिति, अमदावाद आश्रम।

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