ऐसी लगन लगा दो गुरुवर नाम तुम्हारा गायें हम

 

ऐसी लगन लगा दो गुरुवर नाम तुम्हारा गायें हम
गुरु चरणों में ध्यान लगा के भव सागर तर जायें हम

1) जैसी लगन लगी मीरा को, बन गई गिरधर की दासी
विष को अमृत करके पी गयी, श्याम दरस की वो प्यासी
हम भक्तों पर करो अनुग्रह, फिर-फिर जन्म ना पायें हम
गुरु चरणों में ध्यान लगा के, भव सागर तर जायें हम


2) जैसी लगन लगी शबरी को, बन गई राम की दीवानी
प्रभु पधारे कुटिया में लेने, बेरों की मेहमानी
हम भक्तों पर करो अनुग्रह, फिर-फिर जन्म ना पायें हम
गुरु चरणों में ध्यान लगा के, भव सागर तर जायें हम


3) तुम हो स्वमी में सेवक हूँ, ये संयोग पुराना है
हम भक्तों को भूल ना जाना, तुम बिन कहाँ ठिकाना है
तुम बिन कौन हमार प्रभुजी, अपनी किसे सुनायें हम
गुरु चरणों में ध्यान लगा के, भव सागर तर जायें हम