सतगुरु प्यारे हमारे साईं ब्रह्मस्वरूप 

 

स्थाई  :-     सतगुरु प्यारे हमारे साईं ब्रह्मस्वरूप 
                
ये तो योगी और ज्ञानी बापू ईश्वर  का रूप

अन्तरा:-
 
1)         ये तो रहमत है इनकी मानव देह में जो आए,
            
क्या तो स्वार्थ है इनका घर-घर आकर जगायें,
            
बापू चाहते सब जाने अपना निज स्वरुप ,ये तो योगी ----

 

2)         दुर्गुण दूर हटाते, हमको अमृत पिलाते,
            
अपना सब कुछ लुटाते, हमको उपर उठाते,
             
कष्ट उठाते हमारे लिए कैसे अवधूत ,ये तो योगी ----

 

3)         सतगुरु इष्ट हमारे हमको प्राणों से प्यारे ,
            
हम हैं चरणों की धूलि ये हैं चंदन हमारे,
             
जग में रहते हैं ऐसे जैसे पानी में फूल,ये तो योगी ---

 

4)         इनको कह लो गुरूजी चाहे कहलो प्रभुजी,
            
चाहे स्वामी जी कह लो अंतर्यामी जी कह लो,
             
सारे भक्तों के दिल में बापू नारायण रूप ,ये तो योगी --
 
 
5)        सबको उपर उठाना गुरू का शौक निराला,
            
भक्ति  ज्ञान बढ़ाकर करते दिल में उजाला,
            
सबके दिल में बैठे हैं बापू ज्योतिस्वरूप,ये तो योगी----

 

6)         इनके रूप अनेक सब में ब्रह्म है एक ,
           
इनकी लीला है भिन्न सबमें चेतन अभिन्न,
           
दिल में रहते हैं ऐसे जैसे माला में फूल,ये तो योगी---

 

सतगुरु प्यारे हमारे ------------------
          
ये तो योगी ---------------------------