|| श्री सदगुरु परमात्मने नमः ||

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ज्योत से ज्योत जगाओ

ज्योत से ज्योत जगाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

हे योगेश्वर, हे परमेश्वर, हे ज्ञानेश्वर, हे सर्वेश्वर
निज कृपा बरसाओसदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

हम बालक तेरे द्वार पे आये, हम बालक तेरी शरण में आये
मंगल दरश दिखाओसदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

शीश झुकायें करें तेरी आरती, शीश झुकायें करें तेरी आरती
प्रेम सुधा बरसाओसदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

साँची ज्योत जगे जो ह्रदय में,साँची ज्योत जगे जो ह्रदय में
सोऽहं नाद जगाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

अंतर मी युग-युग से सोई,अंतर में युग-युग से सोई
चित शक्ति को जगाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

जीवन में श्रीराम अविनाशी, जीवन में सदगुरु अविनाशी
चरनन शरण लगाओसदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

ज्योत से ज्योत जगाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ
मेरा अंतर तिमिर मिटाओ, सदगुरु ज्योत से ज्योत जगाओ

 

जय जगदीश हरे

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट
, क्षण में दूर करे ॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख विनसे मन का । स्वामी दुख ....
सुख सम्पत्ति घर आवे
, कष्ट मिटै तन का ॥
जय जगदीश ...


मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी । स्वामी शरण गहूँ ....
तुम बिन और न दूजा
, आस करुँ जिसकी ॥
जय जगदीश ...


तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी । स्वामी तुम अन्तर्यामी ....
पार ब्रह्म परमेश्वर
, तुम सबके स्वामी ॥
जय जगदीश ...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन कर्ता । स्वामी तुम पालन ....
मैं मूरख खल कामी
, कॄपा करो भर्ता ॥
जय जगदीश ...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति । स्वामी सबके प्राणपति ....
किस विधि मिलूं दयामय
, तुमको मैं कुमति ॥
जय जगदीश ...

दीन बंधु दुःख हरता, तुम ठाकुर मेरे । स्वामी तुम ठाकुर मेरे ....
अपने हाथ उठाओ
, द्वार पडा तेरे ॥
जय जगदीश ...

विषय  विकार मिटाओ, पाप हरो देवा । स्वामी पाप हरो देवा ....
श्रद्धा भक्ति बढाओं
, सन्तन की सेवा ॥
जय जगदीश ...

तन-मन-धन सब, कुछ है तेरा । स्वामी सब कुछ है तेरा ....
तेरा तुझको अर्पण
, क्या लागे मेरा ॥
जय जगदीश ..

जगमग-जगमग ज्योत जले

जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में |
आओ रे भक्तों भक्ति कर लो बापू के दरबार में ||
जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में

निस दिन तेरा नाम पुकारें, निस दिन तेरी ज्योत जलावें |
आओ रे भक्तों भक्ति कर लो बापू के दरबार में ||
जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में

ऐसी अंतर ज्योत जलवो, हम दीनों को पार लगा दो -२
आओ रे भक्तों भक्ति कर लो बापू के  दरबार में ||
जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में

जिसने बापू का नाम पुकारा, दूर हुआ उसका अंधियारा |
आओ रे भक्तों भक्ति कर लो बापू के दरबार में ||
जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में -२

जगमग-जगमग ज्योत जले मेरे बापू के दरबार में -२ |
मेरे
बापू के दरबार में, मेरे साईं के दरबार में ||

आनंद मंगल करु आरती

आनंद मंगल करु आरती । हरि गुरु संत नी सेवा ॥
प्रेम धरी ने मारे मंदीरे पधारो । सुंदर सुखडा लेवा ॥


जेने आंगणे तुलसी नो क्यारो । शालीग्राम नी सेवा ॥
अड़सठ तीरथ गुरुजी ने चरणे । गंगा यमुना रेवा ॥
आनंद मंगल करु...


संत मीले तो महासुख पाऊ । गुरुजी मळे तो मेवा ॥
कहे प्रीतम जेने हरि छे वहाला । हरि ना जन हरि जेवा ॥
आनंद मंगल करु...


३. आओ सखी मील हरि गुण गावा । आंगणे आव्या गुरुदेवा ॥
आनंद मंगल करु...

 


श्लोक-
स्वामी मोहे विसारियो, चाहे लाख लोग मिल जाएं ।
हम सम तुमको बहुत हैं, तुम सम हमको नाहीं ॥

दीनदयाल को विनती, सुनो गरीब नवाज।
जो हम पूत-कपूत हैं, तो हैं पिता तेरी लाज ॥

हाथ जोड वंदन करुँ, धरुँ चरण पे शीश ।
ज्ञान भक्ति मोहे दीजिये
, परम पुरुष जगदीश ॥

सब कुछ दीना आपने, भेट धरुँ क्या नाथ ।
नमस्कार की भेट धरुँ
, जोडूँ मैं दोनों हाथ ॥

दुःख रुप संसार ये, जन्म मरण की खान ।
आप निकालो दया करो
, सदगुरु दीन दयाल ॥

प्रेम भक्ति देना हमें, हे प्रेमा अवतार । हे करुणा अवतार ।
तुम हो गगन के चंद्रमा
, हम रहें अनुकूल ॥



हरि हरि ....हरि हरि ....हरि हरि ....