नख से लेकर शिख तक मेरे प्रभु तुम्हारा वास है
चाहे जहाँ भी रहूँ जगत में दिल तुम्हारे पास है
सारे जगत में तेरी छाया हे परमेश्वर जगत पिता
तुमको कोई समझ ना पाया हे परमेश्वर जगत पिता
मुझको जैसे हाल रखोगे वैसे ही रह लूँगा मैं
खाने को जो टुकडा दोगे वो प्रसाद खा लूँगा मैं
तेरी कृपा से नर तन पाया हे परमेश्वर जगत पिता
तुमको कोई समझ ना पाया हे परमेश्वर जगत पिता
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में तेरा रुप अनूप है
हर घट तेरी माया साई कहीँ छाया कहीँ धूप है
गुरू रुप में खुद चल आया हे परमेश्वर जगत पिता
तुमको कोई समझ ना पाया हे परमेश्वर जगत पिता
नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण