बुधवारी अष्टमी :
2 जून
(सूर्योदय से रात्रि 1-13 तक)
बुधवारी अष्टमी को किये गए जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल अक्षय होता है ।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है ।
(शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)
इस महा पुण्यशाली दिवस पर सभी साधक भाई-बहन पूज्यश्री के स्वास्थ्य एवं शीघ्र रिहाई के लिए अधिक से अधिक जप-ध्यान व प्रार्थना करें ।

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