पितृ पक्ष कैलेंडर 2023
(29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023)
29 सितंबर 2023 शुक्रवार - पूर्णिमा का श्राद्ध/प्रतिपदा का श्राद्ध, महालय श्राद्धारम्भ
30 सितंबर 2023 शनिवार - द्वितीया का श्राद्ध
1 अक्टूबर 2023 रविवार - तृतीया का श्राद्ध
2अक्टूबर 2023 सोमवार - चतुर्थी का श्राद्ध
3 अक्टूबर 2023 मंगलवार - पंचमी का श्राद्ध
4 अक्टूबर 2023 बुधवार - षष्ठी का श्राद्ध
5 अक्टूबर 2023 गुरुवार - सप्तमी का श्राद्ध
6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार - अष्टमी का श्राद्ध
7 अक्टूबर 2023 शनिवार - नवमी का श्राद्ध
8 अक्टूबर 2023 रविवार - दशमी का श्राद्ध
9 अक्टूबर 2023 सोमवार - एकादशी का श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023 बुधवार - द्वादशी का श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023 गुरुवार - त्रयोदशी का श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार - चतुर्दशी का श्राद्ध, आग-दुर्घटना-अस्त्र-शस्त्र-अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023 शनिवार – - सर्वपित्री अमावस्या का श्राद्ध, महालय
श्राद्ध पक्ष का संदेश
भगवान कहते हैं : ‘वैदिक रीति से अगर आप मेरे स्वरूप को नहीं जानते हो तो श्रद्धा के बल से जिस-जिस देवता के, पितर के निमित्त जो भी कर्म करते हो, उन-उनके द्वारा मेरी ही सत्ता-स्फूर्ति से तुम्हारा कल्याण होता है । देवताओं को पूजनेवाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजनेवाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजनेवाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करनेवाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं । इसलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता ।‘ अतः श्राद्ध तो करो लेकिन ‘पितरों में, देवताओं में जो सत्ता है, वह मेरे प्रभु की है ।‘ प्रभु की सत्ता सर्वत्र देखने से सर्वेश्वर प्रभु की स्मृति हो जायेगी । आपका कर्म परमात्मा को संतुष्ट करनेवाला हो जायेगा ।