पितृ पक्ष कैलेंडर 2022
(10 सितम्बर से 25 सितम्बर 2022)
10 सितंबर 2022 शनिवार - पूर्णिमा का श्राद्ध/प्रतिपदा का श्राद्ध, महालय श्राद्धारम्भ
11 सितंबर 2022 रविवार - द्वितीया का श्राद्ध
12 सितंबर 2022 सोमवार - तृतीया का श्राद्ध
13 सितंबर 2022 मंगलवार - चतुर्थी का श्राद्ध
14 सितंबर 2022 बुधवार - पंचमी का श्राद्ध
15 सितंबर 2022 गुरुवार - षष्ठी का श्राद्ध
16 सितंबर 2022 शुक्रवार - सप्तमी का श्राद्ध
18 सितंबर 2022 रविवार - अष्टमी का श्राद्ध
19 सितंबर 2022 सोमवार - नवमी का श्राद्ध
20 सितंबर 2022 मंगलवार - दशमी का श्राद्ध
21 सितंबर 2022 बुधवार - एकादशी का श्राद्ध
22 सितंबर 2022 गुरुवार - द्वादशी का श्राद्ध
23 सितंबर 2022 शुक्रवार - त्रयोदशी का श्राद्ध
24 सितंबर 2022 शनिवार - आग-दुर्घटना-अस्त्र-शस्त्र-अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध
25 सितंबर 2022 रविवार – चतुर्दशी - सर्वपित्री अमावस्या का श्राद्ध, महालय
श्राद्ध पक्ष का संदेश
भगवान कहते हैं : ‘वैदिक रीति से अगर आप मेरे स्वरूप को नहीं जानते हो तो श्रद्धा के बल से जिस-जिस देवता के, पितर के निमित्त जो भी कर्म करते हो, उन-उनके द्वारा मेरी ही सत्ता-स्फूर्ति से तुम्हारा कल्याण होता है । देवताओं को पूजनेवाले देवताओं को प्राप्त होते हैं, पितरों को पूजनेवाले पितरों को प्राप्त होते हैं, भूतों को पूजनेवाले भूतों को प्राप्त होते हैं और मेरा पूजन करनेवाले भक्त मुझको ही प्राप्त होते हैं । इसलिए मेरे भक्तों का पुनर्जन्म नहीं होता ।‘ अतः श्राद्ध तो करो लेकिन ‘पितरों में, देवताओं में जो सत्ता है, वह मेरे प्रभु की है ।‘ प्रभु की सत्ता सर्वत्र देखने से सर्वेश्वर प्रभु की स्मृति हो जायेगी । आपका कर्म परमात्मा को संतुष्ट करनेवाला हो जायेगा ।