082 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 1999

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संतों का संग अमोघ होता है


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से जब-जब हम ईश्वर एवं गुरु की ओर खिंचते हैं, आकर्षित होते हैं तब-तब मानों कोई-न-कोई सत्कर्म हमारा साथ देते हैं और जब-जब हम दुष्कर्मों की ओर धकेले जाते हैं तब-तब मानों हमारे इस जन्म अथवा पुनर्जन्म के दूषित संस्कार अपना प्रभाव छोड़ते हैं। अब देखना यह है कि …

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वाल्मीकिजी द्वारा भगवान को बताये हुए घर


वाल्मीकि जयंतीः 24 अक्तूबर 1999 वनवास के समय भगवान श्रीराम माँ सीता एवं अनुज श्री लक्ष्मणजी के साथ वाल्मीकि जी के आश्रम में आये। महर्षि वाल्मीकिजी ने कन्दमूल-फलादि से उनका आतिथ्य सत्कार किया। तत्पश्चात श्रीराम ने अत्यंत विनम्रतापूर्वक महर्षि वाल्मीकिजी से अपने रहने योग्य स्थान के बारे में पूछा। महर्षि वाल्मीकि जी श्रीराम की महिमा …

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मुक्ति कैसे पायें ?


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से असमाधेरविक्षेपान्न मुमुक्षर्न चेतरः। निश्चित्य कल्पितं पश्यन्ब्रह्मैवास्ते महाशयः।। ʹज्ञानी पुरुष समाधिरहित होने के कारण मुमुक्षु नहीं है और विक्षेप (द्वैतभ्रम) के अभाव के कारण उसके विपरीत अर्थात् बद्ध भी नहीं है परंतु निश्चयपूर्वक इस सब जगत को कल्पित समझता हुआ ब्रह्मवत् स्थित रहता है।ʹ (अष्टावक्रगीताः 18.28) अष्टावक्र मुनि कहते …

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