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Rishi Prasad 269 May 2015

स्वास्थ्य हितकारी कुम्हड़ा


मधुर, शीतल, त्रिदोषहर (विशेषतः पित्तशामक), बल-शुक्रवर्धक, शरीर को हृष्ट पुष्ट बनाने वाला तथा अल्प मूल्य में सभी जगह सुलभ कुम्हड़ा गर्मियों में विशेष सेवनीय है।

कुम्हड़ा मस्तिष्क को बल व शांति प्रदान करता है। यह धारणाशक्ति को बढ़ाकर बुद्धि को स्थिर करता है। यह अनेक मनोविकार जैसे स्मृति-ह्रास, क्रोध, विभ्रम, उद्वेग, मानसिक अवसाद, असंतुलन, चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, उन्माद, मिर्गी तथा मस्तिष्क की दुर्बलता में अत्यंत लाभदायी है। हृदयरोग व नेत्ररोगों में भी हितकारी है। कुम्हड़े के बीजों में बादाम के समान शक्तिदायी मौलिक तत्त्व पाये जाते हैं। इसके बीज कृमिनाशक हैं। ये सभी गुण पके हुए कुम्हड़े में ही पाये जाते हैं।

पित्तप्रधान अनेक रोगों, जैसे आंतरिक दाह, जलन, अत्यधिक प्यास, अम्लपित्त (एसिडिटी), बवासीर, पुराना बुखार, रक्तपित्त (मुँह, नाक, योनि आदि के द्वारा रक्तस्राव होना) में कुम्हड़ा खूब उपयोगी है। यह कब्ज को भी दूर करता है। पुराने बुखार से जिनके शरीर में हरारत (हलका ज्वर, ताप, गर्मी) रहती है या जिन महिलाओं को लौह तत्त्व की कमी से रक्ताल्पता हो जाती है, उनके लिए यह खूब फायदेमंद है।

उपरोक्त व्याधियों में कुम्हड़े के रस में मिश्री मिला के सुबह शाम पीने से या घी में सब्जी बनाकर खाने से लाभ होता है।

रस की मात्रा- 20 से 50 मि.ली.।

बलवर्धक हलवा
कुम्हड़े को उबाल के थोड़ी सी मिश्री तथा इलायची मिलाकर घी में हलवा बना लें। यह हलवा उत्तम पित्तशामक तथा बलवर्धक है। यह उपरोक्त मानसिक तथा पित्तजन्य विकारों में खूब लाभदायी है। दुर्बल बालकों तथा महिलाओं के लिए भी यह फायदेमंद है। इसमें कुम्हड़े के बीज भी डाल सकते हैं।

सावधानियाँ- कुम्हड़े को उबालकर फिर सब्जी बनायें। इसका उपयोग अधिक मात्रा में नहीं करें। कच्चा कोमल (हरा) अथवा पुराना कुम्हड़ा हानि करता है। जोड़ों के दर्द तथा कफजन्य विकारों में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।

गर्मियों में दूध का भरपूर लाभ लें
देशी गाय के दूध के शीतल, स्निग्ध गुण से गर्मियों में शरीर में उत्पन्न उष्णता व त्वचा की रूक्षता का शमन होता है। गौदुग्ध पीने से तो अनेकानेक लाभ होते ही हैं, साथ ही इसका बाह्य उपयोग भी बहुत लाभकारी है। गर्मियों में सूर्य की दाहक किरणों से त्वचा व आँखों की रक्षा के लिए निम्नलिखित प्राकृतिक उपाय अधिक उपयोगी, अल्प मूल्यवाले एवं सुलभ साबित होंगे।

कुछ सरल प्रयोग
2 चम्मच कच्चे दूध में 2 चम्मच पानी मिला लें और उसमें रूई का फाहा डुबोकर आँखों पर रखें। इससे आँखों की गर्मी व कचरा निकल जाता है, स्निग्धता आती है तथा पोषक तत्त्वों की भी प्राप्ति होती है। थोड़ी देर बाद पानी से आँखें धो लें।

गाय के दूध में प्रोटीन, कैल्शियम और चिकनाई से भरपूर तत्त्व पाये जाते हैं। गाय के दूध के सेवन तथा चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम बनती है, उस पर चमक आती है एवं झुर्रियों से छुटकारा मिलता है।

रात को सोने से पहले चेहरे की त्वचा को कच्चे दूध से साफ करने से दाग-धब्बे कम हो जाते हैं।

कच्चे दूध में गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाने से भी त्वचा मुलायम होती है।

मुलतानी मिट्टी को कच्चे दूध में मिलाकर लेप करने से शीतलता बनी रहती है व गर्मी के प्रभाव से शरीर की रक्षा होती है।

ग्रीष्म ऋतु में तृप्तिकारक पेयः सत्तू
सत्तू, मधुर, शीतल, बलदायक, कफ-पित्तनाशक, भूख व प्यास मिटाने वाला तथा श्रमनाशक (धूप, श्रम, चलने के कारण आयी हुई थकान को मिटाने वाला) है।

सक्तवो वातला रूक्षा बहुर्वचोऽनुलोमिनः।
तर्पयन्ति नरं सद्यः पीताः सद्योबलाश्च ते।।
(चरक संहिता, सूत्रस्थानम् 27.263)

‘सभी प्रकार के सत्तू कफकारक, रूखे, मल निकालने वाले, दोषों का अनुलोमन करने वाले, शीघ्र बलदायक और घोल के पीने पर शीघ्र तृप्ति देने वाले हैं।’

सत्तू को ठण्डे पानी में (मटके आदि का हो, फ्रिज का नहीं) में मध्यम पतला घोल बना के मिश्री मिला के लेना चाहिए। शुद्ध घी मिला के पीना बहुत लाभदायक होता है। 3 भाग चने (भुने, छिलके निकले हुए) व 1 भाग भुने जौ को पीस व छान के बनाया गया सत्तू उत्तम माना जाता है। केवल चने या जौ का भी सत्तू बना सकते हैं।

ग्रीष्मकालीन व्याधियों में उपयोगी प्रयोग

पेशाब की जलन व रूकावट

एक कपड़े को ठंडे पानी में भिगोकर निचोड़ लें। फिर इसे तह करके नाभि के नीचे वाले हिस्से (पेड़ू) पर वस्त्र हटा के रखें। कपड़े को उलटते-पलटते रहें। कपड़ा गर्म हो जाये तो फिर से ठंडे पानी में भिगो के रखें। लेटकर 15-20 मिनट यह प्रयोग करें।

ककड़ी, खरबूजा, नारियल पानी, नींबू की शिकंजी आदि का सेवन करें। शिकंजी में धनिया, सौंफ व जीरे का चूर्ण मिलाकर लें। यथासम्भव हर घंटे-डेढ़ में आधा या एक गिलास सामान्य ठंडा पानी पीते रहें। इससे गर्मी के कारण होने वाली पेशाब की जलन व रूकावट दूर हो जाती है।

पुनर्नवा (साटोड़ी) की गोली या सब्जी खाने से अथवा उसके रस का उपयोग करने से पेशाब व गुर्दे संबंधी तकलीफों में आराम होता है। गोखरू का रस व वरुणादि क्वाथ भी उपयोग में ला सकते हैं।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 30,31 अंक 269
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Rishi Prasad 269 May 2015

ब्रह्मनिष्ठों के ब्रह्मसंकल्प से होते अद्भुत परिवर्तन


एक बार सरदार वल्लभभाई पटेल ने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को यह जानने के लिए भेजा कि ‘श्री रमण महर्षि स्वतंत्रता संग्राम हेतु क्या कर रहे हैं ?’
राजेन्द्र बाबू ने निवेदन कियाः “महर्षि जी ! लोग बोलते हैं कि गांधी जी इतना काम कर रहे हैं और आप यहीं बैठे हैं !”
रमण महर्षिः “तो हम नहीं कर रहे हैं क्या ? संकल्प से भी काम होते हैं।”
पूज्य बापू जी कहते हैं- “जो निःसंकल्प महापुरुष हैं, उनके संकल्प में भी बड़ी ताकत होती है। मौन रहकर मौन में टिकते हैं और संकल्प द्वारा क्रिया से ज्यादा मंगल करते हैं। लेकिन आजकल समझ का स्तर इतना नीचे आ गया कि वाणी का भी उपयोग करना पड़ता है।”
रमण महर्षि की तरह स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, साँईं श्री लीलाशाह जी महाराज, योगी अरविंद आदि कई नामी-अनामी महापुरुषों के संकल्पबल व चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, रामप्रसाद बिस्मिल आदि देशभक्तों की कुर्बानियों तथा महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, सरदार पटेल, पं. मदनमोहन मालवीय आदि के अथक प्रयासों के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।
परंतु सैंकड़ों वर्षों की गुलामी के कारण मानसिक गुलामी दूर नहीं हुई। इस मिली हुई बाह्य आजादी को बनाये रखने तथा मानसिक गुलामी से मुक्त करके भारत को पुनः विश्वगुरु पद पर आसीन करने के लिए ब्रह्मज्ञानी महापुरुष पूज्य बापू जी अनेक कष्ट सहते हुए भी पिछले 50 वर्षों से सतत प्रयत्नरत हैं। वासुदेवः सर्वमिति की दृष्टि से सम्पन्न पूज्य बापू जी के वैदिक सत्संग तथा मानव उत्थान के कई दैवी कार्यों द्वारा देश में एकता, अखंडता, सद्भाव, संयम, सदाचार आदि से समाज में सुख शांति व सम्पन्नता आयी है। बापू जी ने हम सबको सांस्कृतिक पुनर्जागरण द्वारा सच्ची आजादी, आत्मिक आजादी की ओर अग्रसर किया है। इतना ही नहीं, बापू जी अपने ब्रह्मसंकल्प द्वारा कारगिल युद्ध में ऐतिहासिक सफलता दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
26 जून 1999 को अहमदाबाद आश्रम में गुरुपूर्णिमा का शिविर चल रहा था। उधर भारतीय सेना कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लोहा ले रही थी। पूज्य बापू जी को सूचना मिली कि घुसपैठी ‘टाइगर हिल’ की चोटियों पर बैठे हैं, जिससे हमारे भारतीय सैनिकों को ज्यादा खतरा है। देश की रक्षार्थ अपने प्राणों की बाजी लगाने को तत्पर भारतीय वीरों के लिए पूज्य श्री का हृदय पिघल गया।
दोपहर की संध्या में साधकों को कारगिल की स्थिति से अवगत कराते हुए पूज्य श्री ने कहाः “तुम्हारा संकल्प घुसपैठियों को ठीक कर सकता है।” पूरा सत्संग पंडाल पूज्य बापू जी तथा साधकों की ॐकार की तुमुल ध्वनि से गूँज उठा। पूज्यश्री ने जोशभरी वाणी में कहाः “तुम्हारा ॐ का गुंजन वहाँ (कारगिल में) काम करेगा। ये संकल्प के बम बाहर के बमों से ज्यादा काम करेंगे। कारगिल के आसपास के इलाके में घुसपैठियों का सफाया…. यश भले किसी को भी मिले, काम अपने देश का हो…”
कारगिल के दस्तावेज इस बात के साक्षी हैं कि 27 जून के बाद टाइगर हिल पर दिन प्रतिदिन अधिक सफलता मिलनी प्रारम्भ हुई और 4 जुलाई को टाइगर हिल पर भारतीय सेना ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 26, अंक 269
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Rishi Prasad 269 May 2015

”बापू जी को निर्दोष बरी करना ही पड़ेगा” सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी


जोधपुर में पूज्य बापू जी से मिलने आये सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहाः “हमें भी विधि और कानून के बारे में ज्ञान है। बापू जी के जोधपुर केस की जो परिस्थिति है उसको मैंने जाना, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जाँच की स्थिति में होते हुए भी बापू जी 20 महीने से जेल में हैं। मैं समझता हूँ कि एक प्रकार से यह भारत का रिकार्ड है कि ऐसे केस में इतने महीने किसी को जमानत के बिना जेल में रखा गया। दंडित लोगों को भी अपील करने पर जमानत मिली है तो बापू जी को क्यों नहीं ? उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। उनका मूलभूत अधिकार बनता है जमानत पर बाहर आने का।”
जब पत्रकारों द्वारा यह पूछा गया कि क्या बापू जी को षड्यंत्र के तहत फँसाया गया है तो उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर सारी चीजों को देखने से इस विषय में तो मुझे लगता है कि आशाराम जी बापू के खिलाफ केस बनता ही नहीं है, इनको निर्दोष बरी करना ही पड़ेगा। जो शुरुआत में एफआईआर हुई थी दिल्ली में, वह तथाकथित घटना के 5 दिन बाद हुई थी। जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय उनके अनुसार कोई पुलिस स्टेशन ऐसे एफआईआर दर्ज नहीं करता है। इन्होंने (बापू जी ने) डांग क्षेत्र (गुजरात) में वनवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करायी थी और आगे धर्मान्तरण होने नहीं दिया। तो सारी धर्मांतरण वाली लॉबी इनके बहुत खिलाफ थी। उन सभी की इस केस में निश्चित भूमिका है। जिस प्रकार से दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज हुई और फिर बाद में (तत्कालीन) राजस्थान सरकार ने जो दिलचस्पी दिखायी, उससे तो लगता है कि ऊपर से जरूर इशारा था। नयी धाराएँ लगाकर केस बनाया और गिरफ्तार किया था। यह बड़ा आश्चर्य है परन्तु यह सब ट्रायल का विषय है। गिरफ्तारी के जो आधार हैं, उनमें ऐसा कुछ स्पष्ट देखा नहीं। मेडिकल रिपोर्ट कोई सपोर्ट नहीं करती है, केवल एक लड़की के आरोप पर एक संत को आपने बंद किया है। टेकनिकली (विधि-अनुसार) केस बनता नहीं है। केस को लम्बा खींच रहे हैं दुनियाभर में बापू जी को बदनाम करने के लिए। बापू जी को 20 महीने के बाद भी जमानत क्यों नहीं दी गयी है ? सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार कहा है कि ‘बेल इज़ द रूल ऐण्ड जेल इज़ द एक्सेप्शन’ (जमानत नियम है और जेल अपवाद)। जो शर्तें सर्वोच्च न्यायालय ने रखी थीं बापू जी की जमानत के लिए, वे पूरी हो गयी हैं। सब जाँच हो गयी है, अब उनको जेल में रहने का कोई कारण नहीं है, न्यायालय को जमानत देनी चाहिए।”
बापू जी पर लगे आरोपों के बारे में सवाल किये जाने पर सुब्रह्मण्यम स्वामी बोले, “आरोप तो हजार लगते हैं, सब पर लगते हैं। आरोप लगाना बहुत आसान है। सवाल है कि आधार क्या है ? और उस आधार के अनुसार में कह सकता हूँ कि इस केस में कोई दम नहीं है।
बापू जी एक संत हैं, इनका बड़ा व्यापक भक्त समुदाय है सारी दुनिया में। उनको बदनाम करना…. बड़ी गम्भीरता से विचारना चाहिए। जहाँ मुझे लगता है कि अन्याय हुआ है, वहाँ मैं लड़ूँगा।”
पत्रकार द्वारा यह पूछने पर कि “क्या आशाराम जी बापू के साथ अन्याय हुआ है ?” वे बोले, “बिल्कुल। केवल एक लड़की के आरोप हैं, कोई प्रूफ नहीं है। सारी बातें बनावटी हैं। तो इनको बेल क्यों नहीं दी 20 महीने से ? और 75 साल के हैं !”
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 6, अंक 269
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