288 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

गौओं के साथ कभी मन से भी द्रोह न करें


ब्रिटिश शासन के दौरान गवर्नर रॉबर्ट क्लाइव को पता चला कि गायों की सहायता के बिना भारत में खेती करना मुश्किल है। यहाँ किसान बैलों से हल चलाते हैं, गोमूत्र की कीटनाशक तथा गोबर को खाद रूप में उपयोग करते हैं। इसीलिए सन 1730 में उसने कोलकाता में पहला कत्लखाना खुलवाया जिसमें प्रतिदिन 30000 से …

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भटकाने वाली तृष्णा को छोड़कर परमात्मा को पा लो


विवेकव्याकोशे विदधति शमे शाम्यति तृषा परिष्वङ्गे तुङ्गे प्रसरतितरां सा परिणतिः। जराजीर्णैश्वर्यग्रसनगहनाक्षेपकृपण- स्तृषापात्रं यस्यां भवति मरुतामप्योधिपतिः।। ‘विवेक के प्रकट होने से शम (मन का नियंत्रित होकर शांत होना) होने पर विषयों को भोगने की तृष्णा शांत हो जाती है। नहीं तो विषयों का अत्यधिक प्रसंग होने से वह (भोगतृष्णा) बलवती होकर बढ़ती जाती है। जिससे (इन्द्र) …

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धरती पर हैं राक्षस, मानव, देवता और ब्रह्म


छात्र-जीवन में तीर्थरामजी (स्वामी रामतीर्थ जी) को देशी गाय का दूध बड़ा प्रिय था। वे प्रतिदिन एक हलवाई से गोदुग्ध लेकर पिया करते थे। एक बार पैसों की तंगी होने से एक माह के दूध के पैसे हलवाई को नहीं दे पाये। कुछ ही दिनों बाद उनकी लाहौर के एक महाविद्यालय में अध्यापक के पद …

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