194 ऋषि प्रसादः फरवरी 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आत्महत्याः कायरता की पराकाष्ठा


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से मृत्यु एक ईश्वरीय वरदान है, फिर भी यदि कोई आत्महत्या करता है तो वह महापाप है । परमात्मा ने हमें यह अमूल्य मानव चोला दिया है तो हमारा कर्तव्य है कि हम इसे साफ सुथरा रखें, इसे स्वस्थ-तन्दुरुस्त रखें । ऐसा नहीं कि मृत्यु जरूरी है तो अनाप-शनाप खाकर …

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शरीर का तीसरा उपस्तंभः ब्रह्मचर्य


ब्रह्मचर्य शरीर का तीसरा उपस्तंभ है । (पहला उपस्तंभ आहार व दूसरा निद्रा है, जिनका वर्णन पिछले अंकों में किया गया है । ) शरीर, मन, बुद्धि व इन्द्रियो को आहार से पुष्टि, निद्रा, मन, बुद्धि व इऩ्द्रियों को आहार से पुष्टि, निद्रा से विश्रांति व ब्रह्मचर्य से बल की प्राप्ति होती है । ब्रह्मचर्य …

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चल-अचल


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से संत कबीर जी ने सार बात कहीः चलती चक्की देखके दिया कबीरा रोय । दो पाटन के बीच में साबित बचा न कोय ।। चक्की चले तो चालन दे तू काहे को रोय । लगा रहे जो कील से तो बाल न बाँका होय ।। चक्की में गेहूँ डालो, …

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