200 ऋषि प्रसादः अगस्त 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

योगविद्या से भी ऊँची है आत्मविद्या


योगविद्या में मन का निरोध होता है, एकाग्रता से सामर्थ्य आता है – पूज्य बापू जी परंतु ब्रह्मविद्या में मन बाधित हो जाता है और तत्त्व का बोध हो जाता है । योग में चित्तवृत्ति का निरोध हो जाता है और व्यक्ति समाधिस्थ हो जाता है । समाधि से सामर्थ्य आता है परंतु जीवत्व बाकी …

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भगवद्भक्त वृत्रासुर


एक बार असुरों ने चढ़ाई कर दी और देवता हार गये । ब्रह्मा जी की सम्मति से देवताओं ने त्वष्टा के पुत्र विश्वरूप को पुरोहित बनाया । विश्वरूप को ‘नारायण कवच’ का ज्ञान था । उसके प्रभाव से बलवान होकर इन्द्र ने असुरों को पराजित किया किंतु विश्वरूप की माता असुर-कन्या थीं । इन्द्र को …

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हृदयरोग सुरक्षा व उपाय


पूरे विश्व में हृदयरोग से मृत्यु पाने वालों में भारतीयों की संख्या सर्वाधिक है । सर्वेक्षण के अनुसार भारत का हर पचीसवाँ व्यक्ति हृदयरोग से पीड़ित है । हृदय मन, चेतना व ओज का आश्रय-स्थान व मर्मस्थल है । यह अविरत कार्यरत रहता है । यह एक घंटे में शरीर के अंग-प्रत्यंगों में 300 लीटर …

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