217 ऋषि प्रसादः जनवरी 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तुम्हारा जीवन-रथ उत्तर की ओर प्रयाण करे – पूज्य बापू जी


मकर सक्रान्ति, उत्तरायणः 14 व 15 जनवरी छः महीने सूर्य का रथ दक्षिणायण को और छः महीने बीतते हैं तब देवताओं की एक रात होती है एवं मनुष्यों के छः महीने बीतते हैं तो देवताओं का एक दिन होता है। उत्तरायण के दिन देवता लोग भी जागते हैं। हम पर उन देवताओं की कृपा बरसे, …

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शिशिर ऋतु में विशेष लाभदायीः तिल


(शिशिर ऋतुः 21 दिसम्बर से 17 फरवरी तक) शिशिर ऋतु में वातावरण में शीतलता व रूक्षता बढ़ जाती है। आगे आने वाली वसंत व ग्रीष्म ऋतुओं में यह रूक्षता क्रमशः तीव्र व तीव्रतम हो जाती है। यह सूर्य के उत्तरायण का काल है इसमें शरीर का बल धीरे धीरे घटता जाता है। तिल अपनी स्निग्धता …

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शक्ति का मूल – ब्रह्मचर्य – चक्रवर्ती राजगोपालाचारी


शक्तिशाली कहलाने वाले कुछ राष्ट्रों की शक्ति कसौटी के मौके पर वीर्यहीन साबित होती है। उन देशों की संस्कृति की यह एक शोकांति का ही मानी जायेगी। इसका मूल कारण क्या है ? युद्ध में मनुष्य के साहस का जितना महत्त्व है, उतना शस्त्रों के ढेर का नहीं है। ब्रह्मचर्य से व्यक्ति की आत्मशक्ति को …

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