101 ऋषि प्रसादः मई 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उचित और सुख को एक कर दें


संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ज्यों-ज्यों भगवद् ज्ञान और भगवद् सुख मिलता है त्यों-त्यों संसार से वैराग्य होता है और ज्यों-ज्यों संसार से वैराग्य होता है त्यों-त्यों भगवदरज्ञान और भगवदसुख में स्थिति होती है। एक होता है उचित, दूसरा होता है सुख। उचित और सुख को एक कर दो तो जीवन परम सुख …

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सदगुरु महिमा


सदगुरु अनेकानेक लोगों के लिए छाया के समान है। शिष्य वर्ग के लिए तो वे माता के समान ही हैं। उनके प्रति जो असूया प्रदर्शित करेगा, उसकी आत्मप्राप्ति नष्ट हुई समझनी चाहिए। अतः गुरु के जो अंकित या अनुग्रहप्राप्त शिष्य हैं, उन सभी को शिष्य गुरु के समान ही मानता है। असूया उसके चित्त को …

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महापुरुषों के पास हजारों युक्तियाँ हैं


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से 19-10-1982 की सत्संग कैसेट से मनुष्य का कर्तव्य है कि उसे जिस चीज से लाभ होता है, उस लाभ को वह दूसरों तक पहुँचाये। जिस चीज से अपनी भलाई हुई, मानवता के नाते वैसी ही भलाई दूसरों की भी हो ऐसा प्रयत्न करना चाहिए। फिर भले ही …

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