278 ऋषि प्रसादः फरवरी 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आशाओं के दास नहीं आशाओं के राम हो जाओगे


  पूज्य बापू जी मन में कुछ आया और वह कर लिया तो इससे आदमी अपनी स्थिति में गिर जाता है लेकिन शास्त्र-सम्मत जीवन जीकर, सादगी और संयम से रह के आवश्यकताओं को पूरी करे, मन के संकल्प-विकल्पों को काटता रहे और आत्मा में टिक जाये तो वह आशारहित पद में, आत्मपद में स्थित हो …

Read More ..

आखिर कर्ण क्यों हारा ?


पूज्य बापू जी ऋषि आश्रम में शिष्यों के बीच चर्चा छिड़ गयी कि ‘अर्जुन के बल से कर्ण में बल ज्यादा था। बुद्धि भी कम नहीं थी। दानवीर भी बड़ा भारी था फिर भी कर्ण हार गया और अर्जुन जीत गये, इसमें क्या कारण था ?’ कोई निर्णय पर नहीं पहुँच रहे थे, आखिर गुरुदेव …

Read More ..

भक्त या संत को सताने का फल


  ‘अदभुत रामायण’ में एक प्रसंग आता है, जिसे महर्षि वाल्मीकि जी ने समस्त पापों को हरने वाला और शुभ बताया है। मानस पर्वत की कोटर में एक उल्लू रहता था, जो देवताओं, विद्याधरों, गंधर्वों और अप्सराओं का गायनाचार्य था। वह किस प्रकार गायनाचार्य के पद पर प्रतिष्ठित हुआ इस बारे  में देवर्षि नारद जी …

Read More ..