कहते हें- विनाशकाले विपरीतबुद्धिः।
जब गीदड़ की मौत आती है तब वह शहर की ओर भागता है। ऐसा ही हुआ ठग सुखाराम के साथ जिसने पूज्य बापू जी जैसे महान, पवित्र, ब्रह्मज्ञानी संत को बदनाम करने की साजिश की। शायद उसे यह पता नहीं था कि
संत सताये तीनों जायें, तेज, बल और वंश।
ऐसे ऐसे कई गये, रावण कौरव और कंस।।
इसी से उसकी बुद्धि विपरीत हो गई और उसने सीधा अतिरिक्त जिला कलेक्टर को ही ठगने की योजना बना ली। यह भी नहीं सोचा कि यदि मैं पकड़ा गया तो क्या होगा ?
ठगी व धोखाधड़ी के कई मामलों में लिप्त इस कुख्यात ठग सुक्खा उर्फ तांत्रिक सुखाराम उर्फ आस्ट्रेलियन बाबा उर्फ प्रीस्ट सुखविंदर सिंह उर्फ हरविंदर सिंह को आखिरकार पुलिस ने चार सौ बीसी के मामने में गिरफ्तार कर ही लिया व न्यायालय ने उसे रिमांड में भेज दिया है। ऐसे शातिर दिमागवाले अपराधी के बेबुनियाद आरोपों को उछालने वाले कुछ स्वार्थी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वाले असलियत सामने आने पर अब चुप्पी साध के बैठे हैं।
क्या था मामला ?
उदयपुर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर (ए.डी.एम.) एवं राजस्थान प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री माँगी लाल चौहान की माँ वैष्णों देवी तीर्थ स्थल में लापता हुई। उन्हें तलाश लाने का दावा करते हुए तांत्रिक सुक्खा डेढ़ लाख रूपये की ठगी कर गायब हो गया। पिछले दिनों तांत्रिक सुखाराम ने पूज्य बापू जी के बारे में कुछ टी.वी. चैनलों पर फिर से टिप्पणी की थी। वह प्रसारण अब चौहान ने देखा तो वे बोल उठेः ‘अरे ! यह तो तान्त्रिक सुक्खा है, जिसने हमें ठगा है।‘ उनके भाई राजेश चौहान द्वारा तुरंत सुक्खा के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवायी गयी।
शिकायत में लिखा गया है….
“इन्दौर आ जाना, मैं तुम्हें तुम्हारी माँ के साक्षात् दर्शन करवा दूँगा।“ ऐसा झूठा आश्वासन देकर सुखाराम ने मुझे इन्दौर बुलाया। रात्रि करीब डेढ़ बजे एक पुलिस सब इंसपेक्टर एवं अन्य साथी मुझे एक मारूति कार में बिठाकर देवास श्मशान तक ले गये। वहाँ सुखाराम ने श्मशान ने जलते अँगारों पर शराब एवं अन्य सामग्री से तांत्रिक क्रिया की। वापसी में एक बहती नदी पर गाड़ी रोककर मुझे एक कपड़े में लपेटी हुई वस्तु दी और कहाः “ऐसा बोलकर फेंक देना कि जाओ कालू ! मेरी माँ का पता लगाकर आओ।“ मैंने ऐसा ही किया। वस्तु पानी में गिरते ही दो विस्फोट हुए। फिर सुक्खा ने कहा कि “मैं तुम्हारी माँ को ढूँढने वैष्णो देवी जाऊँगा, मुझे पैसा दो।” इस प्रकार कुल डेढ़ लाख रूपये कि ठगी करके वह गायब हो गया और मोबाईल भी बंद कर दिया। काफी प्रयास के बाद भी हमारा सुक्खा से सम्पर्क नहीं हो पाया।
कैसे दबोचा इस शातिर ठग को ?
उदयपुर पुलिस दल ने सादे वस्त्रों में जाकर सुक्खा के देवास (म.प्र.) स्थित अड्डे की छानबीन की। वहाँ पता चला कि पिछले छः महीनों से उसने अपना अड्डा बदल दिया है और वह इंदौर से 27 कि.मी. दूर अरनिया कुंड, खुड़ैल में रह रहा है। पुलिस दल वहाँ पहुँचा तो उसने उसके अड्डे में तांत्रिक गतिविधियाँ देखीं। 27 अप्रैल को वहाँ छापा मारकर ठग कुकर्मी सुक्खा को दबोचा गया। प्रतापनगर (उदयपुर) थाना प्रभारी ने बताया कि रिमांड अवधि में सुखाराम से अन्य ठगी के मामलों के बारे में भी पता लगाया जायगा।
खुल रहे हैं सुक्खा के धोखाधड़ी के कई और मामले…..
हाल ही में गुरुद्वारा श्री गुरुनानक दरबार, जवाहरनगर, जयपुर (राज.) के तत्कालीन सचिव प्रीतपाल सिंह ने उनके बेटे व भतीजे को आस्ट्रेलिया में नौकरी दिलाने का झाँसा देकर 60 हजार रूपये ठगने के मामले में सुक्खा के खिलाफ पुलिस में एफ आई आर दर्ज करवायी है। एक अन्य मामले में सुक्खा ने रायकुण्डा, जि. इन्दौर की आदिवासी महिला सीताबाई के पुत्र की शराब की लत छुड़ाने के बहाने 20 हजार रूपये की ठगी और सुक्खा की साथी महिलाओं ने सीताबाई को गाली-गलौज, मारपीट की व हाथ-पैर तुड़वा देने की धमकियाँ दी। इसकी शिकायत इन्दौर पुलिस मं दर्ज करायी गयी है।
इतने वर्षों से लोगों से ठगी करने वाला यह शातिर आज तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया था पर संत को सताने, उनकी बदनामी करने का फल प्रकृति ने इस ठग को दे ही दिया।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2010, पृष्ठ संख्या 4,5 अंक 209
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