055 ऋषि प्रसादः जुलाई 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

युक्ति से मुक्ति


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू अनपेक्षः शुचिर्दक्षः उदासीनो गतव्यथः। सर्वारम्भपरित्यागी यो मद् भक्तः स मे प्रियः।। ʹजो आकांक्षाओं से रहित, बाहर भीतर से पवित्र, दक्ष, उदासीन, व्यथा से रहित, सभी नये-नये कर्मों के आरम्भ का सर्वथा त्यागी है वह मेरा भक्त मुझे प्रिय है।ʹ (गीताः 12.16) ऐसे भक्त के पीछे भगवान फिरते हैं। कबीर जी …

Read More ..

वर्षा ऋतु में आहार विहार


वर्षा ऋतु से ʹआदानकालʹ समाप्त होकर सूर्य ʹदक्षिणायनʹ हो जाता है और ʹविसर्गकालʹ शुरु हो जाता है। इन दिनों में हमारी जठराग्नि अत्यंत मंद हो जाती है। वर्षाकाल में मुख्यरूप से वात दोष कुपित रहता है। अतः इस ऋतु में खान-पान तथा रहन सहन पर ध्यान देना अत्यंत जरूरी हो जाता है। गर्मी के दिनों …

Read More ..

शक्ति का सदुपयोग करो


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू हमारे अंदर तीन शक्तियाँ मौजूद हैं- करने की शक्ति, मानने की शक्ति और जानने की शक्ति। बच्चा जब थोड़ा सा समझने लायक होता है तब पूछता हैः “यह क्या है ?… वह क्या है ?….ʹ बच्चा माता-पिता, भाई-बहन सबसे पूछता है क्योंकि जानने की शक्ति उसमें मौजूद है। मनुष्य इस …

Read More ..