तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है | तुलसी को माता कहा गया है | यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है | तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य – लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होता हैं |
देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन – समाज का जीवन मंगलमय हो इस लोकहितकारी उद्देश्य से प्राणिमात्र के हितचिंतक पूज्य बापूजी की पावन प्रेरणा से २५ दिसम्बर को पुरे देश में ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ किया जा रहा है | तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ेगा | मानसिक अवसाद, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होगी और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि – विज्ञान का लाभ मिलेगा |
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार ‘जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है अथवा प्रतिदिन पूजन होता है उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते |’ तुलसी की उपस्थितिमात्र से हलके स्पंदनों, नकारात्मक शक्तियों एवं दुष्ट विचारों से रक्षा होती है |
‘गरुड पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं |’ (गरुड़ पुराण, धर्म कांड – प्रेतकल्प :३८.११ )
दरिद्रतानाशक तुलसी
१] ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से तथा पूजा के स्थान पर गंगाजल रखने से बरकत होती है |
२] ‘तुलसी पूजन दिवस के दिन शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की १०८ परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है |’ – पूज्य बापूजी
विदेशों में भी होती है तुलसी पूजा
मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है | ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं |
फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा है : “तुलसी एक अद्भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है |”
तुलसी एक. लाभ अनेक
तुलसी शरीर के लगभग समस्त रोगों में अत्यंत असरकारक औषधि है |
१] यह प्रदूषित वायु का शुद्धिकरण करती है तथा इससे प्राणघातक और दु:साध्य रोग भी ठीक हो सकते हैं |
२] प्रात: खाली पेट तुलसी का रस पीने अथवा ५ – ७ पत्ते चबाकर पानी पीने से बल, तेज और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है |
३] तुलसी गुर्दे की कार्यशक्ति को बढ़ाती है | कोलेस्ट्रोल को सामान्य बना देती है | ह्रदयरोग में आश्चर्यजनक लाभ करती है | आँतों के रोगों के लिए तो यह रामबाण है |
४] नित्य तुलसी – सेवन से अम्लपित्त (एसिडिटी) दूर हो जाता है, मांसपेशियाँ का दर्द, सर्दी-जुकाम, मोटापा, बच्चों के रोग विशेषकर कफ, दस्त, उलटी, पेट के कृमि आदि में लाभ होता है |
५] चरक सूत्र में आता है कि ‘तुलसी हिचकी, खाँसी, विषदोष, श्वास रोग और पार्श्वशूल को नष्ट करती है | वह वात, कफ और मूँह की दुर्गंध को नष्ट करती है |’
६] घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है |
७] ‘तुलसी के निकट जिस मंत्र – स्तोत्र आदि का जप पाठ किया जाता है, वह सब अनंत गुना फल देनेवाला होता है |’ ( पद्म पुराण )
८] ‘मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है |’ ( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड :२१.४२ )
वैज्ञानिक तथ्य
१] डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है | कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धुम्रपान के कारण जो कोशों को हानि पहुँचानेवाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है |’
२] तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय में किये गये एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है |’
३] आभामंडल नापने के यंत्र ‘युनिवर्सल स्केनर’ ले माध्यम से तकनीकी विशेषज्ञ श्री. के. एम्. जैन द्वारा किये गये परीक्षणों से यह बात सामने आयी कि ‘यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी या देशी गाय की परिक्रमा करे तो उसके शरीर में धनात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है, जिससे शरीर पर रोगों के आक्रमण की सम्भावना भी काफी कम हो जाती है | यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की ९ बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव – क्षेत्र में ३ मीटर की आश्चर्यकारक बढ़ोत्तरी होती है |’
शीत ऋतू में आरोग्यवर्धक तुलसी पेय
सामग्री : ५ ग्राम सूखे तुलसी – पत्तों का चूर्ण या २५ ग्राम ताजे तुलसी – पत्ते, १.५ ग्राम सोंठ चूर्ण या ५ ग्राम ताजा अदरक, १.५ ग्राम अजवायन, ०.५ ग्राम काली मिर्च, १.५ ग्राम हल्दी चूर्ण |
विधि : १ लीटर पानी में उपरोक्त सभी चीजें अच्छी तरह उबालें | ८- १० व्यक्तियों के लिए यह पर्याप्त है | यह आरोग्यप्रदायक सात्त्विक पेय सर्दियों में चाय का बेहतर विकल्प है | यह सर्दी – जुकाम एवं बुखार में बहुत लाभकारी है |
स्फूर्तिप्रदायक शीतल तुलसी पेय
सामग्री : तुलसी, सौंफ, सफेद मिर्च, मिश्री आदि |
विधि : २०० मि.ली. पानी में ३ ग्राम सूखे तुलसी पत्तों का चूर्ण, ३ ग्राम पिसी सौंफ, २ – ३ पिसी हुई सफेद मिर्च और आवश्यकतानुसार मिश्री डालें | यह पेय शीतलता, शक्ति एवं ताजगी प्रदान करनेवाला है |
संकल्प करें
२४ दिसम्बर को रात्रि को सोते समय संकल्प करें कि ‘कल मैं तुलसी पूजन करूँगा | तुलसी माता हमारे रोग – शोक दूर कर सुख – समृद्धि, बरकत व शांति देंगी’ और भगवान विष्णु या सदगुरुदेव का चिंतन – ध्यान करते हुए सो जायें |
स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – दिसम्बर २०१४ ( निरंतर अंक- २१० )