114 ऋषि प्रसादः जून 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

श्रद्धा और अश्रद्धा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से जैसे लोहे और अग्नि के संयोग से तमाम प्रकार के औजार बन जाते हैं, ऐसे ही श्रद्धा और एकाग्रता से मानसिक योग्यताएँ विकसित होती हैं, आध्यात्मिक अनुभूतियाँ होती हैं तथा सभी प्रकार की सफलताएँ और सिद्धियाँ मिलती हैं। श्रद्धा सही होती है तो सही परिणाम आता है …

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परोपकार की महिमा


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्री योग वाशिष्ठ महारामायण’ में आता हैः ‘ज्ञानवान सबसे ऊँचे पद पर विराजता है। वह परम दया की खान होता है। जैसे मेघ समुद्र से जल लेकर वर्षा करते हैं तो उस जल का उत्पत्ति स्थान समुद्र ही होता है, ऐसे ही जितने लोग दयालु दिखते हैं …

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दरिद्र कौन है ?


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से मैंने सुनी है एक कहानीः- एक बाबा जी किसी के यहाँ भोजन करने हेतु गये । भोजन के बाद उसने आग्रह करके दक्षिणा के रूप में बाबा जी को चार पैसे दिये। बाबा जी ने सोचा कि ‘अब इस चार पैसे का क्या करना चाहिए ?’ उन्होंने …

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