117 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वास्तविक कर्तव्य और सामाजिक कर्तव्य


  मुख्य कर्तव्य में लीन तुकाराम जी महाराज संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ईश्वर को पाने के लिए आपको चाहे जो भी करना पड़े, वे सब प्रयास, वे सब सौदे सस्ते हैं। संसार को पाने के लिए यदि ईश्वर का त्याग करना पड़े तो सौदा महँगा है। ईश्वर को पाने के लिए …

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भक्ति सुतंत्र सकल सुख खानी……


  संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से ‘श्रीरामचरितमानस’ में आता हैः भक्ति सुतंत्र सकल सुख खानी। बिनु सतसंग न पावहिं प्रानी।। यदि तुम विदेश जाना चाहो तो तुम्हारे पास पासपोर्ट होगा तब वीजा मिलेगा। वीजा होगा तब टिकट मिलेगी। फिर तुम हवाई जहाज में बैठकर अमेरिका जा सकोगे। यदि नौकरी चाहिए तो प्रमाणपत्रों …

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थालियाँ और गालियाँ


  एक बार महात्मा बुद्ध किसी गाँव से होकर गुजर रहे थे। गाँव के कुछ लोग उनके निकट आये और उन्हें भाँति-भाँति की गालियाँ देने लगे, अश्लील अपशब्द कहकर उनका अपमान करने लगे। जब वे गालियाँ दे चुके तब बुद्ध ने उनसे कहाः “अगर आप लोगों की बात समाप्त हो गई हो तो मैं जाऊँ। …

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