110 ऋषि प्रसादः फरवरी 2002

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

धनवानों की दयनीय स्थिति


संत श्री आसाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से भगवान बुद्ध कहते थेः ‘हे भिक्षुको ! अनन्त जन्मों में तुमने जो आँसू बहाये वे अगर इकट्ठे कर दिये जायें तो वे सरोवर को भी मात कर दें। यह बड़ा पर्वत दिख रहा है, उसके आगे यदि तुम्हारे सभी जन्मों की हड्डियाँ एकत्रित की जायें तो यह …

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हिन्दुत्व की बात करना साम्प्रदायिकता कैसे ?


हमारी आर्य संस्कृति एक दिव्य संस्कृति है। इसमें प्राणिमात्र के हित की भावना है। हिन्दुत्व को साम्प्रदायिक कहने वालों को यह समझ लेना चाहिए कि हिन्दुत्व अन्य मत पंथों की तरह मारकाट करके अपनी साम्राज्यवादी लिप्सा की पूर्ति हेतु किसी व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित नहीं है तथा अन्य तथाकथित शांतिस्थापक मतों की तरह हिन्दू धर्म …

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सम्राट अशोक की सेवापरायणता


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग प्रवचन से सम्राट अशोक के राज्य में अकाल पड़ा। सम्राट ने राज्य में कई सदाव्रत खुलवा दिये ताकि प्रजा में जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक न हो वे अपने लिए निःशुल्क सीधा-सामान ले जायें। एक दिन सदाव्रत में लंबी कतार पूरी होने पर शरीर से दुर्बल एवं वृद्ध व्यक्ति …

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