347 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2021

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों की सिद्धान्त-निष्ठा – पूज्य बापू जी


रावण के समकालीन एक बड़े उच्च कोटि के सम्राट – चक्ववेण हो गये । वे राज्य का मंगल चाहते थे । राज्य तो छोटा-सा था लेकिन प्रभाव इतना था कि उनकी सराहना स्वर्ग में भी होती थी । ऋषि मुनि, साधु-संत बोलते थे कि ‘हम तो साधुवेश में साधु हैं किंतु चक्ववेण राजा-वेश में साधुओं …

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खरे निशाने चोट… – पूज्य बापू जी


एक बार मेरे पास कबीरपंथी एक जवान साधु आये । उन्होंने पूछाः ″महाराज ! आत्मा परमात्मा हृदय में तो है लेकिन कौन सी जगह है ? कहाँ चोट करनी है ?″ कोई ऐसी जगह है क्या जहाँ आप किसी गोली या वस्तु से चोट करोगे ? यह चोट करने की चीज नहीं है । केवल …

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यदि पुण्यात्मा व उत्तम संतान चाहते हैं तो…


महान आत्माएँ धरती पर आना चाहती है लेकिन उसके लिए संयमी पति-पत्नी की आवश्यकता होती है । अतः उत्तम संतान की इच्छा वाले दम्पति गर्भाधान से पहले अधिक-से-अधिक ब्रह्मचर्य का पालन करें व गुरुमंत्र का जप करें । गर्भाधान के पहले और गर्भाधान के समय पति-पत्नी की मानसिक प्रसन्नता बहुत अच्छी होनी चाहिए । इसलिए …

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