अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शांतिः… शांतिः’ जप करें और फिर फूँक मारके अशांति को बाहर फेंक दें । जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आने वाले हों तो यह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है । इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा । अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।‘ जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें । ऐसा 10 बार करें । कैसा भी रोग, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जायेगा ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2021, पृष्ठ संख्या 33 अंक 345
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