277 ऋषि प्रसादः जनवरी 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

दोष-दर्शन नहीं देव-दर्शन


पूज्य बापू जी एक माई ने अपने बेटे की निन्दा की एवं बहन ने अपने भाई की निन्दा की उसकी धर्मपत्नी के सामने, जो अभी-अभी शादी करके आयी थी। बहन बोलीः “मेरे भाई का नाम तो तेजबहादुर है। बड़ा तेज है, बात-बात में अड़ जाता है, माँ से पूछो…..” माँ ने कहाः “इसको पता चलेगा, …

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काम और प्रेम में अन्तर


पूज्य बापू जी प्रेम हर प्राणी के स्वतः सिद्ध स्वभाव में है लेकिन वह प्रेम जिस चीज में लगता है, वही रूप हो जाता है। प्रेम पैसों की तरफ जाता है तो लोभ बन जाता है, प्रेम परिवार के इर्द-गिर्द मंडराता है तो मोह बन जाता है, प्रेम शरीर या पद की तरफ जाता है …

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शास्त्रों का बोझा पटको, जीवंत महापुरुष की शरण लो


  केसरी कुमार नाम के एक प्राध्यापक, जो स्वामी शरणानंद जी के भक्त थे, उन्होंने अपने जीवन की एक घटित घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि मैं स्वामी श्री शरणानंद जी महाराज के पास बैठा हुआ था कि गीता प्रेस के संस्थापक श्री जयदयाल गोयंदकाजी एकाएक आ गये। थोड़ी देर बैठने के पश्चात बोलेः …

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