102 ऋषि प्रसादः जून 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उपवास


भारतीय जीवनचर्या में व्रत एवं उपवास का विशेष महत्त्व है। इनका अनुपालन धार्मिक दृष्टि से किया जाता है परन्तु व्रतोपवास करने से शरीर भी स्वस्थ रहता है। ‘उप’ यानी समीप और ‘वास’ यानी रहना। उपवास का सही अर्थ होता है – ब्रह्म, परमात्मा के निकट रहना। उपवास का व्यावहारिक अर्थ है – निराहार रहना। निराहार …

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शब्द की चोट


शब्दों का बड़ा भारी असर होता है। दिन रात अज्ञानता के शब्द सुनते रहने से अज्ञान दृढ़ हो जाता है, विकारों के शब्द सुनते रहने से मन विकारी बन जाता है, निंदा के शब्द सुनते रहने से चित्त संशयवाला बन जाता है, प्रशंसा के शब्द सुनते रहने से चित्त में अहंभाव आ जाता है। परमात्मस्वरूप …

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सत्यस्वरूप की जिज्ञासा


संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से जब बुद्धि सात्त्विक होती है तब बुद्धि में बुद्धि के प्रकाशक के विषय़ में जानने की जिज्ञासा होती है। कईयों की तर्कप्रधान बुद्धि होती है तो कईयों की स्वीकृतप्रधान बुद्धि होती है। जिसकी बुद्धि तर्कप्रधान होगी उसे प्रश्न उठेगा कि जगत का रचयिता कौन है ? जिसकी बुद्धि …

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