294 ऋषि प्रसादः जून 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

आध्यात्मिक ज्ञान गुरु-परम्परा का विषय है-पूज्य बापू जी


जो लोग कैसेटों के द्वारा सोफा पर बैठे-बैठे जूते पहन के घुटने हिलाते-हिलाते चाय या कॉफी की चुस्की लेते हुए सत्संग सुनते हैं, वे नहीं सुनने वालों की अपेक्षा तो अच्छे है, ठीक है, उन्हें धन्यवाद है लेकिन आदरपूर्वक और गुरुओं का सान्निध्य पाकर जो सत्संग सुना जाता है और पचाया जाता है, उसका प्रभाव …

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महात्मा भूरीबाई को कैसे हुआ आत्मज्ञान ?


संवत 1941 आषाढ़ शुक्ल 14 (9 जुलाई 1892) को सरदारगढ़ (उदयपुर, राज.) में रूपाजी सुथार व केसरबाई के घर एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया भूरीबाई। भूरीबाई में अपने माता-पिता के प्रति दयालुता, धर्मप्रियता, ईश्वरभक्ति जैसे दैवी गुण बचपन से ही आ गये थे। 13 वर्ष की आयु में इनका विवाह हो …

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गुरु और सदगुरु – पूज्य बापू जी


गुरु और सदगुरु में फर्क है। गुरु तो शिक्षक हो सकता है, मार्गदर्शक हो सकता है, केवल सूचनाएँ दे सकता है, किताबें पढ़ा सकता है, आत्मानुभव नहीं करा सकता है लेकिन सदगुरु बिना बोले भी सत्शिष्य को आत्मज्ञान का रहस्य समझा सकते हैं और सत्शिष्य बिना पूछे भी समझ सकता है। गुरोस्तु मौनं व्याख्यानं शिष्यास्तु …

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