103 ऋषि प्रसादः जुलाई 2001

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

विविध व्याधियों में आहार-विहार


त्तैत्तरीय उपनिषद के अनुसारः ‘अन्नं हि भूतानां ज्येष्ठम्-तस्मात् सर्वोषधमुच्यते।’ अर्थात् भोजन ही प्राणियों की सर्वश्रेष्ठ औषधि है,क्योंकि आहार से ही शरीरस्थ  सप्तधातु, त्रिदोष तथा मलों की उत्पत्ति होती है। युक्तियुक्त आहार, वायु, पित्त और कफ इऩ तीनों दोषों को समान रखते हुए आरोग्य को प्रदान करता है और किसी कारण से रोग उत्पन्न हों भी …

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तुलसी मीठे वचन ते….


मधुर व्यवहार से सबके प्रिय बनिये संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से मीठी और हितभरी वाणी दूसरों को आनन्द, शांति और प्रेम का दान करती है और स्वयं आनन्द, शांति और प्रेम को खींचकर बुलाती है। मीठी और हितभरी वाणी से सदगुणों का पोषण होता है, मन को पवित्र शक्ति प्राप्त होती है …

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सतयुग की पूजा पद्धति


संत श्री आशाराम जी बापू के सत्संग-प्रवचन से पूर्वकाल में मंदिर-मस्जिद आदि कुछ नहीं था। लोग ब्रह्मवेत्ता सदगुरुओं को ईश्वररूप जानकर, उनका उपदेश सुनते, उनकी आज्ञा के अनुसार चलते एवं परमात्मज्ञान पा लेते थे। बाद में रजो-तमोगुण बढ़ गया। महापुरुषों ने देखा कि ऐरे गैरे भी ‘ब्रह्मज्ञानी’ बनने का ढोंग करने लगे और इसके कारण …

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