215 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

विद्यार्थियों के लिए सृजनात्मक दिशा


हमारे शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है मस्तिष्क। इसमें दो महत्त्वपूर्ण अंतःस्रावी ग्रंथियाँ हैं – पीनियल ग्रंथी तथा पीयूष ग्रंथि। पीनियल ग्रंथी भ्रू-मध्य (दोनों भौहों के बीच जहाँ तक तिलक किया जाता है) में अवस्थित होती है। योग में इस ग्रंथि का संबंध आज्ञाचक्र से है। यह ग्रंथि बच्चों में बहुत क्रियाशील होती है किंतु …

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शीत ऋतु विशेष


(शीत ऋतुः 23 अक्तूबर से 17 फरवरी) शीत ऋतु में पाचन शक्ति प्रबल रहती है। अतः इस समय लिया गया पौष्टिक व बलवर्धक आहार वर्ष भर शरीर को तेज, बल और पुष्टि प्रदान करता है। आइये, इस ऋतु में अपनी सेहत बनाने के लिए कुछ सरल प्रयोग जानें। बल, सौंदर्य व आयुवर्धक प्रयोगः शरद पूर्णिमा …

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संत के अपमान का फल


(पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचन से) सेमिका महर्षि का आज्ञाकारी शिष्य था गौरमुख। मन में सुख आये तो उसको देखे, दुःख आये तो देखे, बीमारी आये तो देखे, तंदुरुस्ती आये तो देखे, – इन सबको जाननेवाला जो परमात्म है वही मेरा आत्मा है और वह सर्वव्यापक है। सदगुरू से ऐसी ऊँची साधना सीखकर गौरमुख …

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