056 ऋषि प्रसादः अगस्त 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उदारात्मा जयदेव जी महाराज


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू श्रीमद् भगवद् गीता में आता हैः दुःखेश्वनुद्विमग्नाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरूच्यते।। ʹदुःखों की प्राप्ति में जिसका मन उद्वेगरहित है और सुखों की प्राप्ति में जिसकी स्पृहा दूर हो गयी है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गये हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहा जाता है।ʹ (गीताः 2.56) सुख में …

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तुलसी


तुलसी को विष्णुप्रिया कहा जाता है। हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसीदल का प्रयोग होता है। जहाँ तुलसी के पौधे अत्यधिक मात्रा में होते हैं वहाँ की हवा शुद्ध व पवित्र रहती है। तुलसी के पत्तों में एक विशेष प्रकार का द्रव्य होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता …

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परमात्मप्राप्ति के सात सचोट उपाय


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू कथा कीर्तन कलियुगे, भवसागर की नाव। कह कबीर भव तरन को और नाहि उपाय।। कलियुग में परमात्म-प्राप्ति के लिए वे साधन, वातावरण अथवा शरीर अभी आपके पास नहीं है जो अन्य युगो थे जिससे तप करके समाधि करके परमात्म-प्राप्ति की जा सके। इसका मतलब यह भी नहीं है कि कलियुग …

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