233 ऋषि प्रसादः मई 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवदीय अपराध की सजा


(पूज्य बापूजी की शिक्षाप्रद अमृतवाणी) जब तक भगवान में प्रीति नहीं होती, तब तक भगवदरस का आस्वादन नहीं होता और व विकार पीछा नहीं छोड़ते। अकबर की बहुत सारी बेगमें थीं। उनमें हिन्दुआनी बेगमें भी थीं। उनमें एक का नाम था जोधाबाई। एक दिन सुबह-सुबह यमुना जी में स्नान करने गयी तो वहाँ देखा कि …

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उन्नति के सूत्र


(पूज्य बापू जी की परम हितकारी वाणी) संसाररूपी युद्ध के मैदान में परमात्मा को किस तरह पाया जा सकता है – यह ज्ञान यदि पाना हो तो इसके लिए ʹश्रीमदभगवदगीताʹ है। मृत्यु को किस तरह सुधारा जा सकता है – यह ज्ञान यदि पाना हो तो ʹश्रीमदभागवतʹ है। साधक को अपनी दिनचर्या का विश्लेषण करना …

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परम उन्नतिकारक श्रीकृष्ण-उद्धव प्रश्नोत्तरी


(पूज्य बापूजी की ज्ञानमयी अमृतवाणी) उद्धव जी ने भगवान श्रीकृष्ण से कहाः “हे मधुसूदन ! आपकी ज्ञानमयी वाणी सुनकर जीव के जन्म-जन्म के पाप मिट जाते हैं। आपकी करूणा-कृपा द्वारा जीव अज्ञान-दशा से जागकर आपके ज्ञान से एकाकार होता है। हे परमेश्वर ! मुझे यह बताइये, ʹऋतʹ किसे कहते हैं ?” श्रीकृष्ण बोलेः “एक तो …

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